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दिल के वो बरक़रार हिस्सों में

जिसने तोड़ा हज़ार हिस्सों में

दिल के वो बरक़रार हिस्सों में

 

रोए, मुस्काए, चीखे, झुंझलाए

दिल का निकला ग़ुबार हिस्सों में

 

सबसे बदतर रहा  यह बटवारा

एक परवरदिगार हिस्सों में

 

रूह, कल्बो जिगर व साँसों के

वो अकेला शुमार हिस्सों में

 

हमको तसलीम है करो तकसीम

हाँ मगर शानदार हिस्सों में

 

आप शामिल रहे कहीं ना कहीं

ज़ीस्त के यादगार हिस्सों में

 

मौत साँसों की किश्ते आखिर थी

चुक गया सब उधार हिस्सों में

Asif Amaan

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 29, 2014 at 7:57pm

//रोए, मुस्काए, चीखे, झुंझलाए
दिल का निकला ग़ुबार हिस्सो में//

वाह वाह क्या खूबसूरत शेर निकला है,बढ़िया है आसिफ़ जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई।

हां एक बात -- मकता का मिसरा सानी मैं समझ नहीं सका ।

Comment by vijay nikore on June 26, 2014 at 12:49pm

बहुत ही खूबसूरत गज़ल है। बधाई।

Comment by Asif Amaan on June 24, 2014 at 10:55am

Geetika Vedika ji aapki hausla afzai ka shukrguzaar hooN!!

Comment by वेदिका on June 19, 2014 at 5:19pm

रोए, मुस्काए, चीखे, झुंझलाए

दिल का निकला ग़ुबार हिस्सो में ..... संजीदा शेअर

एक खूबसूरत गज़ल के लिए ढेरों शुभकामनायें आसिफ जी!

Comment by Asif Amaan on June 14, 2014 at 10:49am

Maheema Shree ji aapka tahe dil shukriya!!

Comment by MAHIMA SHREE on June 14, 2014 at 10:02am

बेहद उम्दा , लाजवाब ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाई आपको

Comment by Asif Amaan on June 3, 2014 at 2:09pm

Mohtarma Rachna Jain Saheba aapki inayat aur husn e nazar hai..

Comment by Asif Amaan on June 3, 2014 at 2:08pm

Adarniye Kalpana Ramani ji zarra nawazi ka tahe dil se shukriya!!

Comment by RACHNA JAIN on June 3, 2014 at 10:55am

लाजवाब पंक्तियाँ ... बधाई

Comment by कल्पना रामानी on June 1, 2014 at 8:56pm

आदरणीय आसिफ जी, खूब सूरत गज़ल के ढेरों बधाइयाँ स्वीकार कीजिये !!

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