For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बलिदानी.....तुकांत कविता

देख तेरे देश की हालत क्या हो गयी बलिदानी
कितना बदल गया है यहाँ हर एक हिन्दुस्तानी|

की क्यों तुने स्वदेश पर मर मिटने की नादानी
अपनों में ही खोया यहाँ हर एक हिन्दुस्तानी|

की क्यों तुने स्वदेश पर मर मिटने की नादानी
अपनों में ही खोया यहाँ हर एक हिन्दुस्तानी|


जाये भाड़ में कहाँ हैं सोचता कोई देश के लिए यहाँ
तुने किसके लिए लुटा दिया अपना सारा ही जहाँ|

धोखा-फरेब-छल तो सभी ने करने की हैं ठानी
मर मिटा तू किसके लिए ओ मुरख बलिदानी|

मरा तू तिरंगे की शान में देख उसका निरादर
होता जिन्दा गर तू तो झुक जाता तेरा भी सर|

उल्टा फहरा कभी, कभी अंगवस्त्र केक तिरंगा कभी काट देते
बलिदानियों को भी यहाँ अब लोग मजहबो में बाँट देते |

सर झुकाना था जहाँ खानापूर्ति महज वहां कर आते है
अमर-ज्योति को भी खण्डित अब बेशर्म कर जाते है|

जिसके लिए तुने  जान कीमती अपनी गँवाई
वही अब कर रहा तैयार तेरे लिए गहरी खाई|

तुझे कर याद आज फिर आंखे भर आयी
सब के सब हुए है यहाँ आज आततायी|

देख तेरे देश की हालत क्या हो गयी बलिदानी
कितना बदल गया है यहाँ हर एक हिन्दुस्तानी|

++ सविता मिश्रा ++

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 1138

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on August 14, 2014 at 8:35pm

abhar varma bhai aapka tahedil se

Comment by Shyam Narain Verma on August 14, 2014 at 10:06am
" बहुत सुन्दर , अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ ................. "
Comment by savitamishra on August 14, 2014 at 9:47am

ओह अब भी सही नहीं हुआ ...ठीक है प्राची sis फिर देखते है ....मेहनत बेकार गयी शायद फिर हमारी ....:)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2014 at 8:08am

सुन्दर भाव लेकिन कथ्य संयोजन, शिल्प और टंकण में कई कमियाँ रह गयी हैं अभी.... इसी कथ्य को थोड़े कम बन्दों में सांद्रता के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास अवश्य ही कीजिये आ० सविता मिश्रा जी 

इन श्रेष्ठ भावों के लिए बधाई स्वीकारिये 

Comment by savitamishra on August 13, 2014 at 11:56am

shukriya आदरणीय विजय भैया दिल से ....सादर नमस्ते

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 13, 2014 at 10:57am
स्वाधीनता दिवस के अवसर पर अच्छी प्रस्तुति , बधाई
Comment by savitamishra on August 13, 2014 at 10:26am

आभार _/\_
नीरज भैया क्या अब सही तरीके से कह पायें है बताइयेगा अवश्य .._/\_

Comment by savitamishra on May 1, 2014 at 9:44pm

जी ब्रिजेश भैया ......आभार आपका

Comment by बृजेश नीरज on April 30, 2014 at 7:46pm

कविता के शिल्प से ज्यादा उसका कहन महत्वपूर्ण होता है. कहन को साधने की जरूरत है.

इस प्रयास पर हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।  आदरणीय सुशील…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"दुःख और कातरता से विह्वल मनस की विवश दशा नम-शब्दों की रचना के होने कारण होती है. इसे सुन्दरता से…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढिया भावाभिव्यक्ति, आदरणीय. इस भाव को छांदसिक करें तो प्रस्तुति कहीं अधिक ग्राह्य हो जाएगी.…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"झूठ के विभिन्न आयामों को कथ्य में ढाल कर आपने एक सुंदर दोहावली प्रस्तुत की है, आदरणीय लक्ष्मण धामी…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service