For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुंडलिया छंद-लक्ष्मण लडीवाला

माँ की छोटी कोख में, पूत रहा नौ माह,

माँ को आश्रम भेज कर, मिली पूत को राह |

मिली पूत को राह, नहीं माँ वहां अकेली |

घरको से थी दूर, बहुत पर मिली सहेली

कह लक्ष्मण कविराय, पूत करले चालाकी

उसका ही सम्मान, करे जो पूजा माँ की |

(२)
परछाई भी दिख रही, अपने बहुत करीब

हाथ बढ़ा कर छू सकूँ, ऐसा नहीं नसीब |

ऐसा नहीं नसीब, भ्रमित मन होता इतना

स्वप्न मात्र संयोग, मिले नसीब में जितना

कह लक्ष्मण कविराय, स्वप्न में फटी बिवाई

उसे डराती देख, स्वयं उसकी परछाई ||

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 463

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 24, 2014 at 7:29pm

कुंडलिया छंद पसंद आई आपको,  हार्दिक आभार आपका श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 24, 2014 at 6:40pm

छंद पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 24, 2014 at 6:25pm

कुंडलियाँ छंद पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री अरुण शर्मा "अनंत" जी |"घरको से थी दूर, बहुत पर मिली सहेली"

इसको यूँ संशोधित किया जाना प्रस्तावित है भाई श्री अनंत जी -

दूर हुआ परिवारमिली पर वहां सहेली 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 24, 2014 at 6:10pm

हार्दिक आभार आपका श्री जितेन्द्र "गीत"भाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2014 at 8:28pm

आदरनीय लक्ष्मण भाई , बहुत बढ़िया कुंडलिया रचना की है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ! आदरणीय अरुण भाई जी से सहमत हूँ ,

घरको से दूर ?

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 23, 2014 at 8:17pm

करे जो पूजा माँ की |

आदरणीय श्री लड़ीवाला जी 

सत्य . अनुपालन योग्य 

सादर बधाई .

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 23, 2014 at 11:49am

आदरणीय सर दोनों ही कुण्डलिया छंद बहुत ही शानदार बन पड़े हैं सुन्दर सटीक कुण्डलिया छंद पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

प्रथम कुण्डलिया छंद में "घरको से थी दूर" स्पष्ट नहीं लगा आप भी देख लें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 23, 2014 at 7:57am

बहुत सुंदर कुंडलियाँ रची आपने आदरणीय लक्ष्मण जी, हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
1 hour ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service