For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदमी (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा )

आदमी 
---------------
ऊँची ऊँची अट्टालिकाएं
बौने लोग
विकृति और स्वभाव
एक दूजे के
पर्यायवाची

चाहरदीवारी के मध्य
शून्य
वर्जनाओं के टूटने का
उदघोष
खामोशी से सुनते हुए
ध्वनि प्रतिध्वनि
संज्ञा शून्य

आहत भावनाये
रिसता खून
अँगुलियों से चाटते हुए
शायद
ये भी नमकीन है
अपनों के लहू जैसा

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
मौलिक /अप्रकाशित
२०.०४.२०१४

Views: 1151

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 1, 2014 at 7:25pm

मैं विलम्ब से हाजिर हुआ . बीमारी ने आपके साथ ये उत्सव आप सब के साथ नहीं मनाने दिया . पर आप लोगों ने मुझे आशीर्वाद दिया . इस मंच पर ऐसी उपलब्धि होना आसान नहीं . ये गर्व की बात है. मैं चयन समिति , आप सब और उस परम पिता परमेश्वर का  आभारी हूँ जिसने जीवन में ऐसा अवसर प्रदान किया. 

आभार /नमस्कार / जय हो मंगलमय हो 

Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2014 at 8:40pm

उत्कृष्ट प्रस्तुति! बधाई स्वीकार करें आदरणीय

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 14, 2014 at 5:37pm

श्रद्धेय श्री कुशवाहा जी,

आपकी इस कविता को  'महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना' चुने जाने पर मेरी हार्दिक बधाई ...सादर!

Comment by Maheshwari Kaneri on May 14, 2014 at 5:21pm

आदरणीय प्रदीप जी
सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें 

Comment by Meena Pathak on May 13, 2014 at 10:56am

शायद ये भी नमकीन है अपनों के लहू जैसा ....... बहुत गहरी बात कही आप ने आदरणीय कुशवाहा जी | बहुत बहुत बधाई | सादर 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 11, 2014 at 11:38am

संज्ञा शून्य
आहत भावनाये
रिसता खून
अँगुलियों से चाटते हुए
शायद
ये भी नमकीन है
अपनों के लहू जैसा
आज की संवेदनहीनता को दर्शाती बहुत सुन्दर रचना ...आदरणीय कुशवाहा जी बधाई महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए
भ्रमर ५

Comment by Neeraj Neer on May 10, 2014 at 8:53am

बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2014 at 1:15pm

आदरणीय प्रदीप भाई , आपकी रचना को इस महीने की सर्व श्रेष्ठ रचना चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 9, 2014 at 12:29pm

आदरणीय प्रदीप जी
सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on May 9, 2014 at 12:11pm

आदरणीय प्रदीप भाई 

आपकी इस कविता को  महीने की सर्वश्रेठ रचना चुने जाने पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service