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नन्हीं नन्हीं

ख़वाहिशें जन्मी है

जैसे पतझड़ के बाद

नन्हीं कलियाँ

नन्ही कोपले

 

बड़े आग़ाज़ का

छोटा सा ख़ाका

बड़ी उम्मीदों की

छोटी सी किरन

 

उगने दो इन्हें

पनपने दो

कल की धूप के लिए

इनके साये बनने दो

 

करो तैयारी

खूबसूरत शुरुआत कि

सजाओ बस्ती

अपने जहान कि

के फिर

मौसम ने करवट ली है

फिर क़िस्मत ने दवात दी है

फिर खुशियों ने रहमत की है

 

जगने दो ख्वाहिशें

पकने दो ख्वाहिशें

के नया कुछ होने को है

परिवर्तन होने को है

 

इंतज़ार ख़त्म होने को है ……..

(मौलिक और अप्रकाशित)

प्रियंका.....

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Comment

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Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 4:00pm

जितेन्द्र जी ....बहुत बहुत आभार आपका ....यूँही सराहते रहे ....आभार.... 

Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 3:59pm

आदरणीय श्याम सर ...आपकी सराहना हेतु ...बहुत बहुत शुक्रिया ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 4, 2014 at 7:41pm

ख्वाहिशों के पनपने का स्वागत करती और सपने बुनती सुन्दर अभिव्यक्ति 

उगने दो इन्हें

पनपने दो

कल की धूप के लिए

इनके साये बनने दो.............बहुत खूबसूरत ख़याल 

इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएं 

कहीं कहीं टंकण त्रुटियाँ दिख रही हैं, उन्हें दुरुस्त कर लीजिये 

Comment by कल्पना रामानी on April 3, 2014 at 10:19pm

बहुत बढ़िया! मन में आशाओं का संचार करती हुई भावपूर्ण सुंदर कविता के लिए आपको हार्दिक बधाई प्रियंका जी/सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 3, 2014 at 10:28am

हर ख्वाहिश शुरू में एक कोंपल की तरह होती है जो समय के साथ आकार लेती है, बहुत खूबसूरती से आपने अपनी बात कही बहुत बहुत बधाई आपको इस खूबसूरत रचना के लिये

Comment by vijay nikore on April 3, 2014 at 8:07am

//करो तैयारी

खूबसूरत शुरुआत कि

सजाओ बस्ती

अपने जहान कि

के फिर

मौसम ने करवट ली है//  

 

बहुत सुन्दर भाव पिरोए हैं। इस आशा संपन्न रचना के लिए साधुवाद, आदरणीया प्रियंका जी।

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 2, 2014 at 8:54pm

आदरणीया प्रियंका जी , मन मे आशा का संचार करती आपकी सुन्दर रचना के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by annapurna bajpai on April 2, 2014 at 3:27pm

भावपूर्ण रचना , बधाई आपको । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 1, 2014 at 9:08pm

करो तैयारी

खूबसूरत शुरुआत कि

सजाओ बस्ती

अपने जहान कि

के फिर

मौसम ने करवट ली है

फिर क़िस्मत ने दवात दी है

फिर खुशियों ने रहमत की है

बहुत सुंदर सकारात्मक पंक्तियाँ, रचना की खूबसूरती को और अधिक बड़ा देती हुई. बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रियंका जी

 

Comment by Shyam Narain Verma on April 1, 2014 at 4:17pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

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