ढांचा सुधरे देश का ,सुदृढ़ हो आकार
खुशियाँ बसती हैं जहां ,छोटा हो परिवार
छोटा हो परिवार ,प्रेम से आँगन महके
पुत्री हो या पुत्र ,नीड़ में खुशियाँ चहके
बूढों का सम्मान ,भरे जीवन का सांचा
हो जाए उत्थान , देश का सुधरे ढांचा
**************************
(२)|
पहले दो टुकड़े हुए ,और हुए फिर चार
टूक-टूक रोटी बटे,बढ़े अगर परिवार
बढ़े अगर परिवार, लड़ाई गुत्थम गुत्थी
खिचे बीच दीवार, रोज की माथापच्ची
रिश्तों बीच खटास,आर्थिक धरती दहले
खुशियाँ लाओ पास,करो नसबंदी पहले
********************************
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
बहुत- बहुत शुक्रिया आ० गिरिराज जी कुंडलियों के भाव ,सन्देश पूर्ण लगे.आर्थिक धरती दहले =अर्थात आर्थिक स्थिति का डगमगा जाना ,मुझे तो नहीं लग रहा कि भाव स्पष्ट नहीं हैं फिर भी ....
आदरणीया सुन्दर सदेश देती आपकी कुंडलियाँ के लिये आपको बधाई ॥आर्थिक धरती दहले , इतना हिस्सा पढने मे कुछ अटक रहा है ॥
आपका बहुत- बहुत हार्दिक आभार आ० श्याम नारायण वर्मा जी
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति , बधाई आप को | सादर |
आ० नादिर खान जी कुण्डलियाँ आपको पसंद आई ,हार्दिक आभार आपका.
पुत्री हो या पुत्र ,नीड़ में खुशियाँ चहके
बूढों का सम्मान ,भरे जीवन का सांचा
हो जाए उत्थान , देश का सुधरे ढांचा
आदरणीय राजेश कुमारी जी, बहुत सुंदर बात कही आपने कुंडलियों के माध्यम से .......
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online