For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनकही बातें...(नवगीत) - डॉ० प्राची

अनकही बातें धड़कतीं

मुस्कुराती

पल रही हैं.

 

थाम यादों की उँगलियाँ

स्वप्न जो

गुपचुप सजाये

शब्द आँखों में उफनते

क्या हुआ जो

खुल न पाये

 

भाव लहरें

तलहटी में

व्यक्त हो अविरल बही हैं.

 

रच गए जब

स्वप्न पट पर

नेह गाथा चित चितेरे

रंग फागुन से चुरा कर

कल्पनाओं में बिखेरे...

 

श्वास में

घुल कर बहीं जो

वो हवाएँ निस्पृही हैं.

 

खनखनाती खिलखिलाहट

प्रीत की

अनमोल पूँजी

व्यक्त हो

बन चीख-चिल्ली

द्वार जब-तब तोड़ गूँजी

 

किन्तु इस दहलीज पर

कब ये मिलन-पल

आग्रही हैं ?

Views: 892

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2014 at 4:54pm

प्रस्तुत नवगीत में मानवीय संवेदनाओं के कई तथ्य इतनी बारीकी से पिरोये गये हैं कि पूरा नवगीत संग्रहणीय बन पड़ा है.

कहने-न कहने की शाश्वत दुविधा को इतने सार्थक और सहज शब्द मिले हैं कि अनुनय को फिर एक नयी ऊँचाई मिलती प्रतीत हो रही है. सांसारिक बिम्बों को अत्युच्च भावनाओं को संप्रेषित करने के लिए प्रयुक्त किया जाना रचनाकारों का सदा से प्रिय शगल रहा है. लेकिन इस प्रस्तुति में उद्दात भावनाओं को स्वर देते हुए रचनाकार हार्दिक स्वीकृति को शाब्दिक करने में अन्यथा व्यामोह को विस्तार नहीं देता.

आदरणीया प्राचीजी, आपकी अबतक की सर्वश्रेष्ट रचनाओं में से एक इस रचना गुजरना एक पाठक के तौर पर सुखद अनुभूति रही. 

एक बात और, व्यक्तिगत अनुभूतियों के अलावे सामाजिक और समष्टि की भावनाओं को नवगीत अधिक मुखर करते हैं. करने चाहिये भी.

गीत और नवगीत में यह एक बहुत ही महीन किन्तु अत्यंत सबल अंतर है. सामाजिक पक्षों के हर्ष-विशाद आदि को अभिव्यक्त करते आपके नवगीतों की प्रतीक्षा रहेगी.

सादर

Comment by annapurna bajpai on February 6, 2014 at 1:51am

बहुत सुंदर नवगीत , बधाई आ0 प्राची जी । 

Comment by Savitri Rathore on February 5, 2014 at 11:30pm

रच गए जब

स्वप्न पट पर

नेह गाथा चित चितेरे

रंग फागुन से चुरा कर

कल्पनाओं में बिखेरे...

मनोभावों को अत्यंत सुन्दर ढंग से आपने व्यक्त किया है प्राची जी,बधाई हो।

Comment by कल्पना रामानी on February 5, 2014 at 10:37pm

बहुत सुंदर और सार्थक नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीया प्राची जी

किन्तु इस दहलीज पर

कब ये मिलन-पल

आग्रही हैं ?....इन पंक्तियों में पूरे गीत का सार है जो एक प्रश्न छोड़ देता है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 5, 2014 at 9:02pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति प्रिय प्राची बहुत-बहुत बधाई 

Comment by mohinichordia on February 5, 2014 at 8:04pm

खनखनाती खिलखिलाहट

प्रीत की

अनमोल पूँजी. बहुत सुन्दर बन पड़ा है नवगीत डॉ. प्राची जी. आपकी सभी रचनाएँ,.उनके भाव उच्च कोटि के होते हैं .मेरी      शुभकामनाएं आपको .

Comment by vijay nikore on February 5, 2014 at 5:51am

इस अति मनोहारी रचना के लिए साधुवाद।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2014 at 11:17pm

बहुत सुंदर रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीया डा. प्राची जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 4, 2014 at 10:10pm

आदरणीया प्राची जी ,  सुन्दर नवगीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥

Comment by coontee mukerji on February 4, 2014 at 10:01pm

बहुत सुंदर रचना. प्राची जी हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service