For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बसंत के दोहे : अरुन अनन्त

बदला है वातावरण, निकट शरद का अंत ।
शुक्ल पंचमी माघ की, लाये साथ बसंत ।१।

अनुपम मनमोहक छटा, मनभावन अंदाज ।
ह्रदय प्रेम से लूटने, आये हैं ऋतुराज ।२।

धरती का सुन्दर खिला, दुल्हन जैसा रूप ।
इस मौसम में देह को, शीतल लगती धूप ।३।

डाली डाली पेड़ की, डाल नया परिधान ।
आकर्षित मन को करे, फूलों की मुस्कान ।४।

पीली साड़ी डालकर, सरसों खेले फाग ।
मधुर मधुर आवाज में, कोयल गाये राग ।५।

गेहूँ की बाली मगन, इठलाये अत्यंत ।
पुरवाई भी झूमकर, गाये राग बसंत ।६।

पर्व महाशिवरात्रि का, पावन और विशेष ।
होली करे समाज से , दूर बुराई द्वेष ।७।

अद्भुत दिखता पुष्प से, भौरें का अनुराग ।
और सुगन्धित बौर से, लदा आम का बाग़ ।८।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1230

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 9:17pm

दोहे आज ज्यादा अच्छे लगे, पूछेंगे क्यों. आज सिखने के कारण मात्र आदी गौर से देखी 

बधाई 

स्नेही अनन्त जी 

सादर 

Comment by Vindu Babu on February 26, 2014 at 12:40am

समसामयिक सुहावना परिदृश्य का सुंदर वर्णन कर रहे हैं दोहे।

मनमोहक प्रकृति का चित्रण बढ़िया हुआ है।

सादर बधाई आदरणीय अरुन भाई जी।

Comment by vijay nikore on February 20, 2014 at 2:18am

बहुत ही सुन्दर दोहे हैं... हार्दिक बधाई।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2014 at 4:59pm

अद्भुत दिखता पुष्प से, भौरें का अनुराग ।
और सुगन्धित बौर से, लदा आम का बाग़

अनुपम मनमोहक छटा, मनभावन अंदाज ।
ह्रदय प्रेम से लूटने, आये हैं ऋतुरा

दोहे तो सभी पसंद आये पर इन दो दोहों के लिए बिशेस्श रूपसे बधाई स्वीकार करें 

अरुण जी वाकई कमाल के दोहे ..आनंद आ गया ..DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD

Comment by कल्पना रामानी on February 11, 2014 at 10:17am

डाली डाली पेड़ की, डाल नया परिधान ।
आकर्षित मन को करे, फूलों की मुस्कान 

पीली साड़ी डालकर, सरसों खेले फाग ।
मधुर मधुर आवाज में, कोयल गाये राग...

बसंत के स्वागत में शानदार दोहे, बहुत बहुत बधाई आदरणीय अरुण अनंत  जी  

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:51pm

आदरणीय नीरज भाई जी आपकी टिपण्णी ने दिल खुश कर दिया एक रचनाकार को और क्या चाहिए बहुत बहुत आभार आपका.

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:50pm

आदरणीया प्राची दीदी दोहे आपको पसंद आये सार्थक हुए आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:50pm

आदरणीय श्री सौरभ सर प्रत्येक रचना पर आपकी प्रतीक्षा रहती है. आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया से मुग्ध हूँ और अपनी त्रुटी भी समझ आ गई है, ह्रदय से आपका आभार व्यक्त करता हूँ आपका सानिध्य यूँ ही सदैव प्राप्त होता रहे. त्रुटियों को ठीक करने का प्रयत्न करता हूँ. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:44pm

आदरणीय अनिल जी हार्दिक आभार आपका

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 12:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय जीतेंद्र भाई जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service