For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१-मूक भाषा

उनसे बात करने के लिए
शब्दों कि आवश्यकता नहीं
पता है क्यूँ ?मेरा
सन्देश वाहक "मौन" है//

२-कोशिश

आज फिर से वो पकड़ा गया
कुछ नया करने कि चोर कोशिश में //

३-चैन कि नींद

शायद इस दुनियां से ऊब गया था
तभी तो
बड़ा सा पत्थर ओढ़कर सो गया है //

४-ऐसा भी

बड़े अज़ीब लोग है
पीट रहे हैं उसे
और उसी से ज़ुर्म भी पूछ रहे है //

५-नाकाम कोशिश

फिर से वही नाकाम कोशिश
आईने के सामने खड़े होकर
उम्र को खीचकर लंबा करने की//
***********************************
मौलिक/अप्रकाशित
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

Views: 545

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:28am

 बहुत बहुत आभार आदरणीया सावित्री जी .....  सादर  

Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:27am

आपसे सहमत हूँ,अमूल्य सुझाव हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई बृजेश जी .....  सादर  

Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:26am

बहुत बहुत आभार आदरणीय अरुण शर्मा  जी .....  सादर  

Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:26am

बहुत बहुत आभार आदरणीय गुमनाम  जी .....  सादर  

Comment by ram shiromani pathak on January 17, 2014 at 11:25am

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी .....  सादर  

Comment by Savitri Rathore on January 16, 2014 at 10:01pm

सुन्दर क्षणिकाएँ रामशिरोमणि जी,बधाई !

Comment by बृजेश नीरज on January 16, 2014 at 6:37pm

राम भाई, अतुकांत पर आप प्रयासरत हैं, यह देखकर सुखद लगता है.

पहले तो 'कि' को 'की' करिए.

इन रचनाओं पर आप उस तरह काम नहीं करते जिस तरह दोहों पर करते हैं.

इस अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई! 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 16, 2014 at 1:38pm

अनुज राम भाई बेहद सुन्दर क्षणिकाएं रची हैं आपने बधाई आपको

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 15, 2014 at 9:42pm

शायद इस दुनियां से ऊब गया था तभी तो बड़ा सा पत्थर ओढ़कर सो गया है //

४-ऐसा भी

बड़े अज़ीब लोग है पीट रहे हैं उसे और उसी से ज़ुर्म भी पूछ रहे है //

५-नाकाम कोशिश

फिर से वही नाकाम कोशिश आईने के सामने खड़े होकर उम्र को खीचकर लंबा करने की//

वाह बहुत खूब श्रीमान सच मजा आ गया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2014 at 8:54pm

आदरनीय राम भाई , सुन्दर क्षणिकायें , आपको बहुत बहुत बधाई ॥

फिर से वही नाकाम कोशिश
आईने के सामने खड़े होकर
उम्र को खीचकर लंबा करने की//  बहुत बढ़िया .......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
16 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service