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इक सिर्फ तुझको देखूँ डगर में - शिज्जु

22- 1212- 1122

हर रात ख़्वाब के मैं सफ़र में

इक सिर्फ तुझको देखूँ डगर में

 

कुछ आज मखमली सी लगी धूप

क्या बात है न जाने सहर में

 

अंगारों पे चला मैं सहम के

इक हौसला भी था मेरे डर में

 

यूँ हैरतों से देखे मुझे लोग

है मेरा नाम आज खबर मे

 

हर शै पे हर मुकाम पे तू थी

तन्हा हुआ न तेरे नगर में

 

-मौलिक व अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 17, 2013 at 10:06am

आदरणीया महेश्वरी जी हौसलाअफ़्ज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Maheshwari Kaneri on December 16, 2013 at 10:11pm

बहुत खुबसूरत गजल,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 16, 2013 at 10:18am

आदरणीय विजय निकोर सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया स्नेह यूँ ही बनाये रखें

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 11:58pm

उम्दा गज़ल के लिए बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 13, 2013 at 7:00pm

आदरणीया मीना जी आपका आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 13, 2013 at 7:00pm

भाई जितेन्द्र जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Meena Pathak on December 13, 2013 at 6:31pm

बहुत सुन्दर गज़ल हुई आदरणीय शिज्जू जी | बधाई आप को | सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 13, 2013 at 10:49am

बहुत खुबसूरत गजल, आदरणीय शिज्जू जी, यह शेर खास पसंद आये दिली दाद कुबूल कीजिये

अंगारों पे चला मैं सहम के

इक हौसला भी था मेरे डर में

 

यूँ हैरतों से देखे मुझे लोग

है मेरा नाम आज खबर मे

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 13, 2013 at 8:42am

आदरणीया वंदना जी आपका शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 13, 2013 at 8:41am

आदरणीय अजय जी आपका आभार 

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