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माँ जैसी प्यारी है मौत (गीत) अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव

ज़िन्दगी तू मौत से  पीछा छुड़ा न पाएगी।                                                                  

उम्र  बढ़ती जाएगी , करीब  आती जाएगी।।                                                                             

     

ज़िन्दगी सफर है और, मुक्ति है मंजि़ल तेरी।                                                                   

मुक्ति जब करीब हो, तो  मौत मुस्कराएगी।।                                                                          

 

मौत एक माँ की तरह, फर्ज़ भी निभाएगी।                                                             

प्यार भरी थपकियों से,  गोद में सुलाएगी।।                                                                                           

 

जब मधुर आवाज़ में, वो लोरी गुनगुनाएगी।                                                               

नींद गहरी और गहरी, और  होती जाएगी।।                                                                           

     

माँ को सबका ध्यान है, सभी पे मेहरबान है।            

मुक्ति सारी झंझटों से, मौत ही  दिलाएगी।।                                            

 

भेद भाव करती नहीं, सब को चाहती है माँ।                           

जब समय आ जाएगा, बिना बुलाए आएगी।।                                            

 

हर जनम  में माँ , तू एक बार  मिलती है।               

स्वागत् है इस जनम में, तू कभी तो आएगी।।

********************************

-  अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी (छत्तीसगढ़)

 

( मौलिक एवं अप्रकाशित )   

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Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 5:20pm

आदरणीय भाई गोपाल नारायणजी, आप जैसे गुणीजनों से उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पाकर मैं धन्य हुआ । हौसला बढ़ाने के लिए मेरा  हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें गोपाल भाई। 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 5:08pm

लक्ष्मण भाई, हार्दिक धन्यवाद  इस रचना को दिल से पसंद करने के लिए

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 5:05pm

विजय भाई , क्या कहूँ  ? मेरी रचना  /// किसी संत के दर्शन से कम नहीं ///  कह कर आपने  कुछ ज़्यादा ही तारीफ कर दी ॥ रचना को हृदय से पसंद करने, उसे आत्मसात करने और मेरा  हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥

Comment by वेदिका on December 3, 2013 at 5:00pm

 मृत्यु को समर्पित सुंदर कृति!

हार्दिक बधाई आ० अखिलेश जी!

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 4:48pm

हार्दिक धन्यवाद राम  भाई इस रचना को दिल से पसंद करने के लिए

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 4:44pm

आदरणीया कुंतीजी आपका हार्दिक धन्यवाद मेरी इस रचना को मान देने और हृदय से स्वीकार करने के लिए॥इस कृति को  बार-बार पढ़ने लायक बताकर आपने मेरा भी हौसला बढ़ाया, .. आभार।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 4:32pm

इस रचना को दिल से पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद छोटे भाई कपीश एवं गिरिराज ।  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 4:17pm

अखिलेश जी

मौत में तसव्वुरे माँ  i अद्भुत ख्याल है i

आपका निर्वहन भी कमाल का  है i

मेरी बधाइयाँ  i

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 3, 2013 at 12:13pm

अवश्यम्भावी  मृत्यु की सत्यता के विषय में बहुत ही सही बात कही है आपने |" माँ जैसी प्यारी है  मौत"

हार्दिक बधाई

Comment by विजय मिश्र on December 3, 2013 at 12:04pm
मन को शिथिल और शांत करने वाले उत्तम और यथार्थपरक भावों से अलंकृत अनुपम रचना ,मृत्यु का मुक्तिरूप और माँ के तुल्य मान देना किसी संत के दर्शन से कम नहीं . साधुवाद अखिलेशजी .

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