For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुंडलिया छंद - लक्ष्मण लडीवाला

नारी पीड़ा सह रही, मन में है अवसाद,

संत वेश में घूमते, दुष्कर्मी आजाद  |

दुष्कर्मी आजाद, सताते नहीं अघाते 

करे नहीं परवाह,  गंदगी यूँ फैलाते |

राजनीति का मंच, भरे अपराधी भारी,   

हमको यही मलाल,कष्ट में अबला नारी |

(2)

गांधी के इस देश में, हिंसा है आबाद,

निरपराध है जेल में, सौदागर आजाद |

सौदागर आजाद, कर रहे भ्रष्टाचारी

इनमे है उन्माद, कष्ट में जनता सारी

जागरूकता रोक सके अपराधी आंधी,          

जनता पर ही भार,सहे न और दुख गांधी |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 20, 2013 at 10:10am

जी आदरणीय मेरी जल्दबाजी की आदत छुट नहीं रही, अब पुनः यूँ संशोधित की जावे तो -

गांधी के इस देश में, हिंसा है आबाद,
निरपराध है जेल में, सौदागर आजाद |
सौदागर आजाद, कर रहे भ्रष्टाचारी
इनमे है उन्माद, कष्ट में जनता सारी
बने हम जागरूक, रुके अपराधी आंधी, 
लक्ष्मण समझे भार,अगर है दुख में गांधी |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2013 at 5:53pm

छंदोत्सव के आयोजनों में कुण्डलिया छंद के विधान और शब्द-विन्यास पर कई बार विस्तृत चर्चा हुई है. आपने तब-तब तदनुरूप अभ्यास करने की हामी भरी है. यह अलग बात है कि उन चर्चाओं के अनुसार पालन इस बार फिर नहीं हुआ है.  दूसरी कुण्डलिया दोष पूर्ण है. क्यों है, यह आप जानते ही हैं.

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2013 at 10:02am

हार्दिक आभार श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी और श्री विजय मिश्र जी 

Comment by बृजेश नीरज on November 18, 2013 at 11:45pm

बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ! आपको हार्दिक बधाई!

दूसरी कुण्डलियाँ की आखिरी दो पंक्तियों का अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं हुआ!

सादर! 

Comment by विजय मिश्र on November 18, 2013 at 4:36pm
कुंडलियाँ और निहित भाव दोनों ही आदर योग्य , बधाई लक्ष्मणजी
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 18, 2013 at 2:39pm

पहली कुंडलिया बहुत ही अच्छी लगी बधाई लक्ष्मण भाई।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 17, 2013 at 5:13pm

सादर आभार श्री राम शिरोमणि पाठक जी और श्री गिर्राज भंडारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2013 at 7:58am

आदरणीय लक्ष्मण भाई , शिल्प मै नही जानता , सुन्दर भावों के लिये आपको बधाई !!!!

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 12:10am

आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत सुन्दर कुण्डलिया। .. बहुत बहुत बधाई आपको

नारी पीड़ा सह रही, मन में है अवसाद,
संत वेश में घूमते, दुष्कर्मी अब आम ।///आदरणीय इसे पुनः देख लें

दुष्कर्मी अब आम, सरे राह ही सताते///////यहाँ गेयता भंग है

राजनीति आबाद, अपराध बढ़ रहे भारी।।।। इसे और ब्भी अच्छे तरीके से कहा जा सकता है

अपराधी आजाद, कर रहे भ्रष्टाचारी।।। आप क्या कहना चाह रहे है स्पस्ट नहीं लगा मुझे।।।।

सजग करे मतदान तभी रुक सकती आंधी,///मतदान करने से अंधी रुकती है क्या??/// सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
39 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service