For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बलाये आसमानी में ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

1222       1222        1222     1222

 

कभी फूलों मे कलियों में, कभी झरनों के पानी में

मुझे महसूस तू होता, हवाओं की रवानी में

कभी बेकस की आहों में ,निगाहे बेबसी में भी 

कभी खोजा किया तुझको, किसी गमगीं कहानी में

मुदावा मेरी लग्ज़िश का, मेरी कोशिश का तू हासिल

मेरी मुस्कान में तू है, तू है दर्दे निहानी में 

खयालों मे तेरा कब्ज़ा, मेरी अनुभूति में तारी

मेरी हर गुफ़्तगू तुझसे, तू मेरी बेज़ुबानी में

तू पोशीदा, अयाँ भी तू ,दुआ भी तू, करम भी तू

तू रूहानी अक़ीदत है ,मेरी इस ज़िन्दगानी में

तू हाज़िर है, जो हर लम्हा खुली या बन्द आँखें हो

मै खुशियाँ ढूँढ लूंगा अब, बलाये आसमानी में 

******************************************************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 951

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on June 2, 2016 at 10:27pm

तू पोशीदा, अयाँ भी तू ,दुआ भी तू, करम भी तू

तू रूहानी अक़ीदत है ,मेरी इस ज़िन्दगानी में----वाह  ! क्या  खूब  कही  है  आपने  आदरणीय गिरिराज  भंडारी जी , बेहद खुबसूरत  ग़ज़ल  है  ये  भी  आपकी . बहुत बहुत  बधाई  आपको 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 18, 2013 at 7:27am

आदरणीय वीनस भाई . आपके लिखे " बहुत खूब " से मुझे सब कुछ दे दिया ! आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

Comment by वीनस केसरी on November 2, 2013 at 11:41pm

वाह बहुत खूब

ढेरो दाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 30, 2013 at 11:11pm

आदरणीय सुजाता जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 30, 2013 at 8:36pm

आदरणीय नीरज मिश्रा भाई,आपने तो मुझे आसमान मे चढा दिया !! कृपा कर नीचे उतार दीजिये!! ये सच है की जो भी रचना होती है वो  तय है कि माँ सरस्वती ही स्वयम ही कराती है !!! मै उनका धन्यवाद करता हूँ और आपके सभी शब्द माँ को अर्पित करता हूँ , और उत्साह वर्धन अपने पास रखता हूँ !!!  !!!! आपको तहे दिल से शुक्रिया !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 30, 2013 at 8:25pm

आदर्णीया अन्नपूर्णा जी , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 30, 2013 at 8:23pm

आदरणीया सरिता जी .गज़ल की सराहना के लिये आपका दिल से आभारी हूँ !!!!!!

Comment by Neeraj Nishchal on October 30, 2013 at 7:42pm

आदरणीय भण्डारी जी

आपकी कविता कि गहराई जहां तक है ।
मेरी तो बोलने कि हद ही नही वहाँ तक है ।

उर्दू शब्दों का ज्ञान तो आपका क्या कहें
जो सूफियाना अंदाज़ उभार है आपने

एक ही बात ख्याल में आती है जो परमात्मा ने रचा है
और कोई आप जैसा कवि साहस करता है उसे शब्दों में ढाल देने का
ऐसा लगता वो कुदरत बनकर अपनी लीला रचता है
और इंसान बनकर उस पर गीत लिखता है

और अंत में यही कहूंगा

आपकी कविता पर जो तारीफ करने की कोशिश होगी ।
मेरे देखे वो आसमान छूने की अधूरी ख्वाहिश होगी ।

Comment by annapurna bajpai on October 30, 2013 at 6:47pm

सुंदर भावों से सजी गजल हेतु बधाई स्वीकारें आ0 भण्डारी जी । 

Comment by Sarita Bhatia on October 29, 2013 at 11:36pm

वाह ,खुबसूरत गजल ,बहुत बहुत बधाई गिरिराज जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service