मफार्इलुन मफार्इलुन मफार्इलुन मफार्इलुन
वो तब होता है बेकल एक पल को कल नहीं मिलताा
उसे सेल फोन पर जब भी कभी सिगनल नहीे मिलता।
गरीबों की दुआओं से उन्हें भी स्वर्ग मिलता है,
जिन्हें मरते समय दो बूँद गंगा जल नहीे मिलता ।
मुसाफिर की बड़ी मुषिकल से तपती दोपहर कटती ,
अगर रस्ते में बरगद , नीम या पीपल नहीें मिलता।
किसी के घर में मिलतीं सिलिलयाँ सोने की चाँदी की ,
किसी के घर में साहब दो किलो चावल नहीं मिलता।
हमारे देष में अब भी हज़ारों गाँव हैं ऐसे ,
जहाँ पीने को सबको साफ सुथरा जल नहीं मिलता
चलन ऐसा हुआ है ट्रेन में पानी की बोतल का ,
सुराही है नदारद अब कहीं छागल नहीं मिलता।
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आ0 राम अवध जी सुंदर गजल रचना के लिए बधाई आपको ।
http://www.google.co.in/inputtools/cloud/try/.... इस लिंक को आजमाएं आदरणीय
बेहद उम्दा गज़ल है आ0 राम अवध जी..... बधाई हो...... टंकण दोषों पर आ0 गिरिराज जी ने समाधान दे ही दिया है..... कोशिश कीजिएगा....
कुछ टंकणीय दोषों को नजरंदाज कर दें तो बहुत ही उम्दा गजल हुई है.... मुझे उम्मीद है सर जी कि आप जल्द जी इस समस्या का समाधान भी ढूंढ लेंगे ताकि चांद में दाग जैसा मामला फिर से न हो.... !!!!!
आदरणीय राम अवध भाई , मुझे क्षमा करेंगे , मै कृतिदेव से यूनिकोड कनवर्सन वाली बात और उसका असर नही जानता था , इस लिये शंका जाहिर कर दिया था !!!!!!! मै हिन्दी आई . एम. ई साफ्ट वेयर इस्तमाल करता हूँ !!! ये सरल भी है और शुद्ध भी !!!! किसी कनवर्सन की ज़रूरत भी नही पड़ती !!!! आदरणीय बह्र मे तो मुझे भी कोई कमी नही दिखती !!!! आपको सुन्दर गज़ल के लिये पुनः बधाई !!!!!
आदरणीय श्री बाजपेयी साहब
मुशाफिरकी बड़ीमुश्क़िल सेतपतीदो पहरकटती
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
बाहर मे सही बैठ रही है मेरी जानकारी के अनुसार
आदरणीय श्री भण्डारी जी
दरअसल मैं गजल को कृतदेव 10 में टाइप करके पुन: ओपेन बुक्स आन लाइन में दिये गये टूल्स आन लाइन यूनिकोड कनवर्सन से यूनिकोड में बदलकर गजल को पोष्ट करता हूँ कनवर्सन के बाद त्राुटि बाइ डिफाल्ट आ जाती है। आप सब इतनी शुद्धता से कैसे टाइप करते है कृपया बताने का कष्ट करें।
गजल की प्रशंशा के लिये धन्यवाद।
अच्छा प्रयास लगा किन्तु 'मुसाफिर की बड़ी मुषिकल से तपती दोपहर कटती' इस पंक्ति में प्रवाह भंग लग रहा है देख लीजिये
आदरणीय बहुत सुन्दर गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाई !!!! आदरणीय कुछ शब्दों के उपयोग पर शंकित हू ---
मुषिकल ,सिलिलयाँ ,देष -- टंकण की गलती है या ये शब्द भी चलन में हैं !! कृपा कर देख लें !!
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