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काँटे हैं किस के पास में किस पे गुलाब है।
जनता के पास आज भी सबका हिसाब है।

.

पढ़कर के जिस किताब को बच्चे बहक गये ,
बोलो र्इमान वालो वो कैसी किताब है।

.

लालो गुहर नही है मेरे पास में मगर ,
जो कुछ भी मेरे पास है वो लाजबाब है।

.

बैठे है करके बंद वो दरवाजे खिड़कियाँ ,
ये सोचकर कि अपना मुकददर खराब है।

.

ये सच है हाथ पाँव में अब जान ही नही ,
जिन्दा लहू में अब भी मेरे इन्कलाब है।

.

अंगार को बुझाइये पानी की धार से ,
ये मत कहो कि र्इंट का पत्थर जबाब है।

.

दुनिया में अमन चैन हो नफरत न हो कहीं ,
मेरी गज़ल का बस यही लब्बो लुआब है।

.

देखो हमारे साथ में अब वो भी हो लिये ,
जिनके न दिल में जोष है तन में न ताब है।

.

जिसका मिज़ाज दोपहर को गर्म था बहुत,
गर्दिष में ष्शाम को वही अब आफताब है।

.

 मौलिक अप्रकाशित एवं अप्रसारित

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Comment

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Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 6:36am

गज़ल के शिल्प का मुझे ज्ञान नहीं है लेकिन भावों का संप्रषण बहुत अच्छा है..... बधाई हो आ0 राम अवध जी...

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 22, 2013 at 10:12am

आदरणीय वीनस जी मेरे ज्ञान के अनुसार बहर है
मफऊल               फाइलात                     मफार्इल            फाइलुन

1121                  2121                         1221               2111

Comment by बृजेश नीरज on October 22, 2013 at 7:40am

कहन बहुत अच्छा है! बहर में बांधने का प्रयास करें. इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई! 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 21, 2013 at 11:39pm

भाव अति सुन्दर , मगर केसरी जी की बात पर गौर फरमाईयेगा 

Comment by वीनस केसरी on October 21, 2013 at 1:21am

आदरणीय ग़ज़ल की मात्रा बता दें जिससे तक्तीअ में आसानी हो जाए ...
कई प्रयासों के बाद भी बहर समझने में असफल हूँ

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 19, 2013 at 10:55pm

आपका अंदाज़ संयत है आदरणीय. मंच पर प्रस्तुत हुई अन्यान्य ग़ज़लें भी पढ़ जाइये. बहुत कुछ का समाधान होता जायेगा, आदरणीय.

शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 19, 2013 at 3:33pm
आदरणीय राम अवध भाई , पूरी गज़ल खूब सूरत कही है !!!! बहुत बधाई !!!

लालो गुहर नही है मेरे पास में मगर ,
जो कुछ भी मेरे पास है वो लाजबाब है।

बैठे है करके बंद वो दरवाजे खिड़कियाँ ,
ये सोचकर कि अपना मुकददर खराब है। ----- दोनो शेरों दे लिये ढेरों दाद कुबूल करें!!!!
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 19, 2013 at 1:40pm

क्या बात है आदरणीय बहुत खूब जोरदार अशआर कहे हैं आपने बधाई हो आपको

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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