For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये भी एक सच है- अतुकांत -( गिरिराज भंडारी )

ये भी एक सच है

***************

जितना फैलायेंगे,

अपने अपने अहम को

ये भी और वो भी,

सब मेरा, इस वहम को

उतना ही उलझेंगे

औरों के अहम जालों से

अपने भीतरी कशमकश से

और बाहरी सवालों से 

कुछ तो क़ीमत है

मैने देखा है, बिकते हुये

लटकते हुये मुर्दा बकरे

बकरों के सिर 

और देखा है 

इंसानों की रगों में

जमता हुआ रुधिर

और सिर्फ जलते, खाक होते

इंसानी सिर !!!

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 715

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2013 at 7:18pm

आदरणीय राम भाई , सरहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 5:12pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय गिरिराज जी //आपको बहुत बहुत बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 26, 2013 at 1:08pm

आदरणीया गीतिका जी , हौसला अफज़ाई के लिये बह्त बहुत शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 26, 2013 at 1:07pm

आदरनीय जितेन्द्र भाई , रचना की सराहना के लिये आपका बहुत आभार !!

Comment by वेदिका on September 26, 2013 at 12:02am

बढ़िया रचना, सुंदर कथ्य, धारा प्रवाह रचना!!  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 25, 2013 at 11:50pm

बहुत सुंदर भावनात्मक रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय गिरिराज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 25, 2013 at 9:13pm

वाह !!! बड़े भाई आदरणीय विजय जी, पुनः हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया !!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 25, 2013 at 9:11pm

आ0 सन्दीप भाई हौसला अफज़ाई के लिये आपका दिली शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 25, 2013 at 9:10pm

आदरणीय अनुराग भाई , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !

Comment by vijay nikore on September 25, 2013 at 7:43pm

प्रतिक्रिया पहले दे चुका था ... अब पुन: पढ़ी .... और निम्न अभिव्यक्ति को दाद देता हूँ...

 

//और देखा है 

इंसानों की रगों में

जमता हुआ रुधिर//


सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service