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आदरणीया सावित्री जी ..स्वागत है ... रचना को समय दिया आभारी हूँ ..
आदरणीय विजय निकोरे जी , .. रचनाकर्म को सराहने के लिए आपका ह्रदय तल से आभार.. सादर
आदरणीय रविकर सर , स्वागत है .. आपने पढ़ा , समय दिया .. और मर्म को समझा .. अपना आशीर्वाद दिया , लिखना सार्थक हुआ . स्नेह बनाये रखे
आदरणीय अरुण अनंत जी .आपका बहुत -२ धन्यवाद आपने रचना को समय दिया , पसंद किया आभार
//अर्थात
मेरी प्रगति के दरवाजे
अब तुम
न बंद करों //
आदरणीय लक्ष्मण सर ... आपने रचनाकर्म को सराहा, उसके मर्म को समझा, ह्रदय तल से आभारी हूँ स्नेह, सहयोग बनाये रखे .. सादर
//मगर प्रशंसा की बात को देवता से जोड़ नहीं पाया । वागविलास भी देवता नहीं करते, खैर,//
आदरणीय राजेश जी .. आप जैसे प्रबुद्ध जन अगर ये कहें तो निराशा होती है ...
यंहा पति देवता / पति परमेश्वर की बात कही है जो शादी से पहले अपनी प्रेमिका को प्रसंशा कर बहलाता है ..उसके रूप की तारीफ़ कर अपने वाक् जाल में फंसाता है फिर बड़े सपने दिखता है ..भले ही उसकी प्रेमिका उससे ज्यादा शिक्षित हो उससे ज्यादा गुणी हो , उससे ज्यादा भविष्य उज्जवल हो .. और वो इस जाल में फंस भी जाती है .. और जब पत्नी बन जाती है तो उसे अपनी शिक्षा अपने सपने बीच में हो छोड़ने होते हैं क्योंकि उसे देहरी का हवाला दिया जाता है ..पर शादी से पहले उससे वादा किया जाता है की तुम सब करने के लिए आजाद रहोगी बहुत सारी बाते इसमें सम्मिलित हैं आप समझ गए होगें ..मैंने अपनी सहेलियों के साथ ऐसे होते देखा हैं ...खैर
आपने पसदं किया इसके लिए आभरी हूँ स्नेह बनाये रखे , सादर
आदरणीय जितेद्र जी .. बहुत -२ आभार रचना आपने पसंद किया , सहयोग बनाये रखे
धारदार
प्रणाम स्वीकार हो ...
// , बराबरी का हक़ , स्वच्छन्द उडान , नारी जागृति की ओर !! //
आदरणीय गिरिराज जी .. बराबरी का हक़ तो ठीक समझा आपने पर .. स्वछन्द उड़ान नहीं .. बल्कि जिम्मेवारियों को साथ वहन करते हुए .. मानवीय जीवन के सभी आयामों को साथ जीने की उड़ान कही है मैंने ...इसलिए मैंने देहरी सिर्फ नारी के लिए नहीं बल्कि देहरी जो प्रतीक हैं संस्कारों और मूल्यों को संजोकर रखने की वो सिर्फ नारी के अकेले की जिम्मेवारी नहीं बल्कि परुष की है .. अक्सर देखा जाता है घर की , मूल्यों की , धर्म की , रिवाजो को , बच्चो को संस्कारित करने की जिम्मेवारी अकेले नारी निभाती रहती हैं और पुरुष बाहर काम करने पैसे कमाने के बहाने .. स्वछन्द होकर मूल्यों को ताक पर रख कर ... कई असामाजिक कार्यों में लिप्त होता है और अपने घर और बच्चो को धोखे में रखता है .. पत्नी अगर आवाज उठाती है तो उसे घर की देहरी का हवाला दे कर चुप का दिया जाता है ..
बरहाल आपने समय दिया ... पसंद किया लिखना सार्थक रहा हार्दिक आभार .... सहयोग बनाए रखे
//कुछ अलग ही तेवर ...जरुरत भी है चेतावनी की ...बदले किसी भी तरह तो बदले ये समाज ...चाहे दुर्गा या काली . सुन्दर भाव....//
आदरणीय भ्रमर सर ... नमस्कार .. आज की नारी के भाव को आपने समझा , आशीर्वाद दिया , शुभकामनाये दी और बदलाव को सहर्ष स्वीकार किया इसके लिए ह्रदय तल से आभारी हूँ ...सादर , स्नेह बनाये रखे
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