For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || बहुत चर्चा हमारा हो रहा है ||

बहुत चर्चा हमारा हो रहा है

इशारों में इशारा हो रहा है /१  

लकीरें हाथ की बेकार हैं सब 

समझिये बस गुजारा हो रहा है /२ 

न जाने रूह पर गुजरी है क्या क्या 

बदन का खून खारा हो रहा है /३ 

गगन के तारे क्यूँ जलने लगे हैं

कोई जुगनू सितारा हो रहा है /४  

तुम अपनी धड़कनों को साधे रखना 

तुम्हारा दिल हमारा हो रहा है/५ 
.............................................
बह्र : १२२२ १२२२ १२२ 
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1296

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:07pm

आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी :
मान्यवर... मैं सचमुच भाग्यशाली हूँ कि मेरी पहली ग़ज़ल ...को आपने अनुपम प्रतिसाद दिया ..स्नेह दिया ..आशीष दिया !..जी हाँ ..अभी कुछ ही दिनों से ओबीओ पर सक्रीय हूँ ..आप सबका प्यार -स्नेह ने एक मोहपाश सा रच दिया है..! नमन ..नमन ..नमन ..!
स्नेह का प्रार्थी हूँ ...! सादर :) 

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 7:59pm

आदरणीय वीनस केसरी साहब :
सर्वप्रथम...ह्रदय की अनंत गहराइयों से आपको विनम्र नमन करता हूँ !..आपके स्नेह ने हमको ऋणी कर दिया..! आप सब गुणी हैं ..ग़ज़ल के हर इक बारीकी से अवगत हैं ...नाचीज तो अभी अभी लिखना और सीखना शुरू किया हैं ..! आपने टिप्पणी में, मेरे साधारण शब्दों को.. एक असाधारण रूप दे दिया है ! सब स्नेह है आदरणीय आपका !...महती कृपा आपकी ! शब्दाभाव अनुभव कर रहा हूँ आपको धन्यवाद ज्ञापन के लिए ...! आपकी अनमोल उपस्थिति ने हमारे इस रचना को सार्थक कर दिया है ..! ह्रदय तल से कोटि कोटि आभार !

स्नेह देते रहिएगा ... मार्गदर्शन भी देने की कृपा कीजियेगा !...सादर :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 22, 2013 at 12:08am

ओह ! ग़ज़ब !!

क्या आपको पहली दफ़ा पढ़ रहा हूँ !? !!

Comment by वीनस केसरी on September 21, 2013 at 10:43pm

इशारों में इशारा....... हो रहा है |
हाय !!!! ऐसा तागज्जुल हमें क्यों नहीं नसीब हुआ ... कैसा ललचा रहा हूँ इस मिसरे पर ... फ़िदा हो गया भाई

इशारों में इशारा आपने जो बिम्ब बांधा है इसने तो लूट ही लिया ...
मतला महफ़िल का पूरा नक्शा ...पूरा मंज़र हमारी आखों के सामने ले आ रहा है

जिंदाबाद भाई
जियो

कोई जुगनू... सितारा हो रहा है |

 

तुम्हारा दिल.. हमारा हो रहा है |


हर शेर का सानी कामयाब है और उला से आप शेर को निभा ले गये हैं ... मुरस्सा ग़ज़ल के लिए ढेरो दाद ...


Comment by Saarthi Baidyanath on September 21, 2013 at 4:24pm

श्री नीरज कुमार 'नीर':
महाशय, आप सही हैं ... कुछ और मोहतरम ने भी हमें इस ओर इंगित किया है !...आपने समय निकला रचना के लिए और हमारे लिए कोटि कोटि आभार !...मार्गदर्शन देते रहिएगा .....अनेक धन्यवाद सहित :)

Comment by Neeraj Neer on September 21, 2013 at 11:43am

वाह बहुत सुन्दर लिखा है .. पहले शेर में चर्चा हो रहा है में लिंग दोष दीखता है, अन्य अश अश आर लाजवाब हैं 

Comment by Saarthi Baidyanath on September 20, 2013 at 1:29pm

डॉ आशुतोष मिश्रा साहब :
डॉक्टर साहब ... प्रसन्नता हुई कि नाचीज का ये शेर पसंद आया ! विनम्र नमन सहित ..आभार व्यक्त करता हूँ आपका ! अभिनन्दन  है ! :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 20, 2013 at 1:25pm

श्री अभिनव अरुण साहब :
अभिभूत हूँ आपका निर्मल स्नेह पाकर ... महती कृपा आपकी ! सीखने का इच्छुक हूँ ..निःसंकोच मार्गदर्शन कीजियेगा ! आभार :)

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 20, 2013 at 11:45am

बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें ...

रखो तुम धड़कनें अपनी पकड़ के

तुम्हारा दिल हमारा हो रहा है |..ये शेर मुझे बिशेष रूप से पसन् आया 

Comment by Abhinav Arun on September 20, 2013 at 6:15am

वाह सारथी जी आज फिर से इस अंजुमन में आया हूँ ..खूब पढ़िए ..बढिए ..सत्यम शिवम सुन्दरम लिखिए ...बहुत बहुत शुभकामनायें .प्रभावित किया है आपके लहजे ने ..अल्लाह अदब की  सौ नेमतें अता करे आपको !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service