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वन नन्दन था वय षोडश कंचन देह लिए चलती वह बाला
शुचि स्वर्ण समान लगे शुभ केश व चन्द्र प्रभा सम वर्ण निराला
नृप एक वहीं फिरता मृगया हित यौवन देख हुआ मतवाला
वह नेत्र मनोहर मादक थे मदमस्त हुआ न गया मधुशाला
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ


मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 17, 2013 at 5:27pm

आपकी उदारता आदरयोग्य है, आदरणीय

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 17, 2013 at 5:21pm

सौरभ जी मति के अनुरूप ही व्यक्ति प्रतिक्रिया व्यक्त करता है......मुझे लगता है लक्ष्मण प्रसाद जी की प्रतिक्रया में वास्तविक प्रशंसा के ही भाव थे किन्तु उनकी सामर्थ्य सीमित है.....अतः उनके स्तर को देखते हुए उनकी टिप्पड़ी क्षम्य है 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 16, 2013 at 10:32am

आपकी इस लालित्यपूर्ण रचना पर आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी की चुहलबाज़ी बदमग़ज़ी पैदा कर रही है कहूँ तो अन्यथा न होगा.  उनकी टिप्पणी से स्पष्ट है कि वे न तो आपकी प्रस्तुति के मर्म को समझ पाये हैं न ही आप द्वारा प्रयुक्त विधान की उनको समझ है. ऐसी टिप्पणियाँ किसी रचना की भद्द तो पीटती दिखती ही हैं, स्वयं टिप्पणीकार की रचनाकर्म की वैधानिक समझ को भी साझा करती हैं. आदरणीय लक्ष्मण प्रसाजी इस मंच के पुराने और स्थापित सदस्य हैं. उनसे सादर अपेक्षा है कि वे अपनी टिप्पणियों में आशु रचनाकर्म करने के क्रम में मूल रचना के विधान आर मर्म को अनदेखा न किया करें. अन्यथा कोई संवेदनील रचनाकार ऐसी टिप्पणियों से बिदक सकता है.  दूरगामी हानि इस मंच की ही होगी.

मै मंच पर हुए इस तरह के किसी लिहाज के लिए आपसे क्षमाप्रार्थी हूँ.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 16, 2013 at 10:29am

आपका सादर आभार, आदरणीय आशुतोशजी. 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:25am

आभार केवल जी 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:24am

प्रभूत आभार अन्नपूर्णा जी 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:23am

बहुत सुन्दर रविकर जी आभार

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:21am

गिरिराज जी विजय जी आभार 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:19am

अरुण शर्मा जी राम शिरोमणि जी बहु बहुत आभार 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:18am

जी सौरभ जी सत्य कहा आपने बहुत आभार 

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