इस नगर में
मेरे कुछ सपने
हुए साकार
और कुछ
बिखरे किरचियाँ बन
पर
इन सपनों की
फ़ेहरिस्त थी लम्बी
इन्हें पूरा करने
जी जान से थी जुटी
कभी
भावुकता में बही
तो कभी
व्यावहारिकता ओढ़ी
कहीं
करना पड़ा संघर्ष
इसके
विद्रोही मोड़ों पर
लेकिन
इस नगर की
एक बात है ख़ास
मुस्कुराहटों में इसने
दिया मेरा साथ
पर एक बात
है इसकी विचित्र
ग़मों में सहारा देने
कोई हाथ भी न उठा
यही
ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव
समझा गए मुझे हर बार
नई सीख नए विचार
विजयाश्री
०५.०७.२०१३
( मौलिक और अप्रकाशित )
Comment
आपके माध्यम से हमने भी सीखा और महसूस किया ..शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई
आ. विजय श्री जी बहुत सुन्दर सशक्त भावपूर्ण रचना -
इस नगर की
एक बात है ख़ास
मुस्कुराहटों में इसने
दिया मेरा साथ
पर एक बात
है इसकी विचित्र
ग़मों में सहारा देने
कोई हाथ भी न उठा
यही
ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव
समझा गए मुझे हर बार
नई सीख नए विचार
बहुत बधाई और शुभकामनाएँ सफल साहित्यिक जीवन के लिए !!
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