For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - कहकहों के दायरे में ..{अभिनव अरुण}

ग़ज़ल - 

कहकहों के दायरे में दिल मेरा वीरान है ,

गाँव के बाहर बहुत खामोश एक सीवान है |

 

उंगलियाँ उठने लगेंगी जब मेरे अशआर पर ,

मान लूँगा मैं कि मेरे दर्द का दीवान है |

 

वो सुनहरे ख्वाब में है सत्य से कोसो परे ,

आदमी हालात से वाकिफ मगर अनजान है |

 

छू के उस नाज़ुक बदन को खुशबुओं ने ये कहा ,

ज़िन्दगी से दूर साँसों की कहाँ पहचान है |

 

बढ़ रहा है कद अँधेरे का शहर में देखिये ,

हाशिये पर गाँव का दुबका हुआ अरमान है |

 

हाट एक सजती है पगडण्डी के दोनों छोर पर ,

और   इच्छाएं लिए   घुटता हुआ   इंसान है |

                             - अभिनव अरुण 

                               {19082013}

*सर्वथा मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on September 1, 2013 at 7:45pm

बहुत आभार आ. अखिलेश जी अशार आपके पसंद आये लेखन सार्थक हुआ .

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 1, 2013 at 6:15pm

बढ़ रहा है कद अँधेरे का शहर में देखिये ,

हाशिये पर गाँव का दुबका हुआ अरमान है |                                                                                                                  ************************************** अरुण भाई- ये पंक्तियां इस गजल की जान हैं ।  बधाई !!

Comment by Abhinav Arun on August 25, 2013 at 7:08pm
आ. मंजरी जी बहुत आभार आपका रचना की सराहना के लिए !!
Comment by mrs manjari pandey on August 25, 2013 at 3:17pm

     

बढ़ रहा है कद अँधेरे का शहर में देखिये ,

हाशिये पर गाँव का दुबका हुआ अरमान है |  आदरणीय अभिव अरूण जी अन्तर्मन को छूती हुई बेहतरीन गज़ल . हार्दिक बधाई

 

हाट एक सजती है पगडण्डी के दोनों छोर पर ,

और   इच्छाएं लिए   घुटता हुआ   इंसान है |  

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 3:00pm

ये शेर मेरा भी पसंदीदा है आ. केवल जी ..अनुमोदन केलिए हार्दिक रूप से धन्यवाद आपका !!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 22, 2013 at 9:23am

आ0 अभिनव अरून भाई जी! सादर प्रणाम!   लाजवाब और शानदार गजल। बहुत सुन्दर... //छू के उस नाज़ुक बदन को खुशबुओं ने ये कहा, ज़िन्दगी से दूर साँसों की कहाँ पहचान है//  बेहतरीन गजल प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 6:11am

आ.श्री पियूष जी , ग़ज़ल को सराहने का शुक्रिया . आप ने जो विन्दु उठाये हैं उनपे पुनर्विचार कर सूचित करता हूँ ..सादर !!

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 6:09am

हाँ आम ही हूँ... पर आज इस आम का सीजन नहीं रहा हर तरफ मुलम्मों का बोलबाला है उसे चीरने कोशिश रहती हैं मेरी रचनाएँ.. आपने मान दिया.. ह्रदय से आभार आ . गीतिका जी !!

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 5:38am

बहुत बहुत आभार श्री अरविन्द जी !आपने शेर सराहा लेखन समादृत हुआ !!

Comment by ARVIND BHATNAGAR on August 21, 2013 at 9:14pm

हाट एक सजती है पगडण्डी के दोनों छोर पर ,

और   इच्छाएं लिए   घुटता हुआ   इंसान है |..........शानदार शेर है ....कुछ कह जाता है.... दोहराने का मान करता हैबधाई|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service