निगाहों ने छुपा रखी समन्दर की निशानी है ।
बहा करता है अश्कों में ये जो खारा सा पानी है ।
ये मानो या न मानो तुम कोई सागर तो है दिल में,
उठा करती यहाँ पल पल जो मौजों की रवानी है ।
हज़ारों दर्द सहकर भी मोहब्बत छोड़ ना पाया ,
अकेला दिल नही मेरा ये हर दिल की कहानी है ।
इश्क से रूबरू होकर नए हर दिल के किस्से हैं ,
मगर ये चीज उल्फत तो यहाँ सदियों पुरानी है ।
भले ही दुनियादारी के बड़े नादान पंछी हम ,
मगर दिल के हिसाबों में समझ अपनी सयानी है ।
खुदा यूँ ही नही बोला इश्क को इश्क वालों ने ,
इश्क करके ही ये जाना चीज क्या जिंदगानी है ।
ये सागर इश्क का ऐसा पार हों डूबने वाले ,
बचा ले जाये जो खुद को ये उसकी बेईमानी है ।
जलाकर जिसकी हस्ती को ये शम्मा हो रही रौशन ,
न होगा जब वो परवाना तो शम्मा बुझ ही जानी है ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज
Comment
kya baat hai !! khubsurat gajal ke liye bdhai aapko
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