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वास्ता बस यूँ कि

यादें आती रहें जाती रहें

इसी बहाने कभी यूँही कह

मुस्कुरा लिया करेंगे

गुज़रती बेहाल सी

रफ़्तार भरी ज़िन्दगी में भी

इसी बहाने कभी यूँही कह

दो घड़ी थम जाया करेंगे

दुखती आँखों पर भी

थोड़ा रहम हो जायेगा

इसी बहाने कभी यूँही कह

आंखे मूंद तुम्हें

देख लिया करेंगे

खोलती नहीं दुपट्टे की

वो गांठ चुभती है जो

ओढ़ने में….इसी बहाने

कभी यूँही कह तुम्हें

महसूस कर लिया करेंगे

मलती हूँ तुम्हारा नाम

हाथ पर अक्सर लिख कर

इसी बहाने तुम्हें यूँही कह

इन हथेलियों में छुपा लिया करेंगे

गला जब रुंध आये

और दम घुटने लगे

बाल्टी भर खुद पर उड़ेल लेंगे

इसी बहाने अब भी

तुम्हारी याद में यूँही कह

हम रो लिया करेंगे

हाँ उम्मीदें ख़त्म नहीं होतीं

कम्बख्त बस यही जिन्दा रखती हैं

चलो खैर इसी बहाने कभी यूँही कह

हम जी भी लिया करेंगे

(मौलिक एवं अप्रकाशित)


.......प्रियंका ''पियू ''

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Comment by अरुन 'अनन्त' on July 30, 2013 at 9:44pm

बहुत ही सुन्दर भाव आदरणीया बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by Priyanka singh on July 30, 2013 at 6:06pm

पसंदगी का बहुत बहुत शुक्रिया जितेन्द्र जी  ....

Comment by Priyanka singh on July 30, 2013 at 6:01pm

चन्द्र शेखर पाण्डेय जी ....बहुत बहुत आभार सर .....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 29, 2013 at 11:51pm

सुंदर व् भावनात्मक रचना प्रस्तुति पर , हार्दिक बधाई , आदरणीया प्रियंका जी

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on July 29, 2013 at 11:43pm

मलती हूँ तुम्हारा नाम

हाथ पर अक्सर लिख कर

इसी बहाने तुम्हें यूँही कह

इन हथेलियों में छुपा लिया करेंगे । सुन्दर लिखा है आदरणीया। आपकी भावाभिव्यक्ति उत्कृष्ट है। बधाई

कृपया ध्यान दे...

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