For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब सोचने का नज़रिया
बदल जाये तो
राहें भटक जाया करती हैं,
मंजिलें तब दूर कहीं
खो जाया करती हैं...
काफिले के संग
चल निकलो तो बात अलग,
वर्ना परछाईं भी अक्सर
साथ छोड़ जाया करती है...
वो लोग अलग होते हैं
जो डूब के पार निकलते हैं,
हौसलों से तो बिन पंख भी
ऊँची उडान भरी जाया करती है...
स्वार्थी की कोई ज़ात नहीं
जानवरों सा जीवन उसका,
इंसान को तो चुल्लू भर पानी में भी
मौत आ जाया करती है...
ऊपर वाले ने भी
खेल अजीब खेला है,
जो दुनिया उजाड़े किसी की
किस्मत उसी को मिल जाया करती है,
'पियू' और क्या लिखे उसके सामने
प्यार करने वालों की तो अक्सर
लकीरें भी धोखा दे जाया करती हैं...

(मौलिक एवं अप्रकाशित)


.......प्रियंका ''पियू ''

Views: 690

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on July 21, 2013 at 10:13pm

बहुत बहुत शुक्रिया अजय जी ....खूब कहा अपने ...आभार सर 

Comment by ajay yadav on July 21, 2013 at 12:46pm

आदरणीया ,सादर अभिवादन 

बड़ी सुंदर रचना सार्थक सन्देश युक्त ...

"हौसलों से तो बिन पंख भी 
ऊँची उडान भरी जाया करती है..."वाह ...वाह ..वाह .

kisi शायर ने लिखा हैं 

"अगर चिंगारी है , तुझमें , तो भड़क ! गर फूल है , तो खिल ! महक !
हजारों तरह के हसरतो-जनून , तेरे रंग -ए -दिल में हैं ; उभार ! उनको ".सादर आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 19, 2013 at 5:37pm

नज़्म के बारे मे तो वीनस केसरी जी ही बता सकते हैं

Comment by Priyanka singh on July 19, 2013 at 5:29pm

पसंदगी का बहुत बहुत आभार जीतेन्द्र  जी ....

Comment by Priyanka singh on July 19, 2013 at 5:26pm

आदरणीय गीतिका जी, सही कहा आपने 'नज्म' के बारे में अगर नियमों की जानकारी मिले तो हम जैसे नवोदित रचनाकारों के लिये खुशी की बात होगी....दिल से शुक्रगुजार हूं आपकी इस स्नेह एवं हौसलाअफजाई के लिये.....!!! सादर !!!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 19, 2013 at 5:18pm

जब सोचने का नज़रिया 
"बदल जाये तो 
राहें भटक जाया करती हैं,
मंजिलें तब दूर कहीं 
खो जाया करती हैं.."".
आदरणीया..प्रियंका जी..उम्दा नज्म पर हार्दिक बधाई 

Comment by Priyanka singh on July 19, 2013 at 4:31pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी, मैं भी सीखने का ही प्रयास कर रही हूं, आप जैसे गुणी जनों से.....मुझे भी अच्छा लगा आपसे प्राथमिक जानकारी पाकर....भविष्य में कोशिश करूंगी कि अब रचना के लिये उसका अपना शीर्षक दूं....वैसे अब जाकर मन में संतोष हुआ कि रचना आपको 'बहुत ही सुन्दर' लगी.....हृदय से आभार । सादर!

Comment by वेदिका on July 19, 2013 at 4:30pm

आदरणीय बृजेश जी!

कभी आपको 'नज्म' विधा के बारे में जानकारी मिले तो मुझे अवश्य ही बताइयेगा, मै भी कभी नियमसंगत नज्म की रचना करने का सुअवसर चाहूंगी!!

मन के हालातों को उकेरती सुंदर नज्म पर दाद कुबुलें आदरणीया प्रियंका पियू सिंह जी!!  

सादर !!

Comment by बृजेश नीरज on July 18, 2013 at 3:32pm

आदरणीया प्रियंका जी मार्गदर्शन हेतु आपका हार्दिक आभार! जी जरूर, किसी जानकार से इस विधा के बारे में अधिक जानकारी लेने का प्रयास करूंगा। आपसे जो प्राथमिक जानकारी मिली है वह बहुत उपयोगी है।
आपसे एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि उर्दू के कुछ शब्दों के प्रयोग से न तो कोई रचना नज्म हो जाती है और न ही हिन्दी के कुछ शब्दों के प्रयोग से वह कविता हो जाती है। बेहतर यही होता है कि रचना को उसका अपना एक शीर्षक दिया जाए।
आपकी रचना बहुत ही सुन्दर है। आपको हार्दिक बधाई।
सादर!

Comment by Priyanka singh on July 18, 2013 at 3:18pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी, बहुत ज्यादा जानकारी तो मुझे भी नहीं है.....मैं सिर्फ इतना ही जानती हूं कि कविता को ही उर्दू में 'नज्म' कहते हैं.....अब चूंकि मेरी ये रचना मुक्त छंद कविता है और इसमें मैंने कुछ उर्दू शब्दों का भी प्रयोग किया है तो सोचा शीर्षक 'एक नज्म' दे दूं.....बाकी मैं अभी सीखने के दौर में हूं इसलिये इससे ज्यादा इस बारें में नहीं बता पाऊंगी.....जैसा कि आपने कहा कि इस विधा के बारे में आपको भी कोई जानकारी नहीं है तो बेहतर होगा कि आप किसी विद्वान से संपर्क करें....धन्यवाद !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service