For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत देर से 

धूप ही धूप  थी 

दूर तक

कोई दरख्त नहीं 

जिसकी छाँव तले मै 

आ जाऊं !

बहुत दिनों से

कंठ  सूखा था

दिनों तक कोई

लहर नहीं

जिसे जी भर मै

पी जाऊं !

कई जेठों  से

स्वेद की कितनी बूंदें

माथे छलछलाती थीं

कब शीतल पुरवाई में

समा जाऊं !

आ जाओ

बस आ ही जाओ

मेरी जिन्दगी 

छाँव, तृप्ति और श्वास

मेरी तुम !

-जीतेन्द्र 'गीत'  

(मौलिक और अप्रकाशित) 

Views: 890

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 25, 2013 at 7:47pm

आदरणीय लछमण जी,

आपने रचना पर दृष्टि डाली, लेखन कर्म को सार्थकता का प्रमाण मिला , बहुत बहुत आभार आपका..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 25, 2013 at 7:43pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी,

आपने रचना को सराहा , रचना सार्थक हुई.. बहुत बहुत आभार

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 25, 2013 at 7:38pm

आदरणीया डा. प्राची जी,

आपने रचना के मर्म को छुआ ,आपका बहुत बहुत आभार

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 25, 2013 at 7:35pm

आदरणीय..बृजेश जी, 

यह मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात है , कि  प्रथम कविता रचना पर आपका आशीर्वाद मिला  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 25, 2013 at 7:26pm

आदरणीय केतन जी,

//jaise kuch baat adhuri rah gayi hai//

कोई स्पेस्फिक पंक्ति, बंद, भाव,गेयता आदि सम्बंधित जो भी त्रुटी हो, इंगित करेंगे तो सुधार की ओर अग्रसर हो पाउँगा|

आदरणीय केतन जी,

यह मेरे जीवन की प्रथम कविता रचना है,इसलिए जैसे भाव आये ,पिरो दिए,.. आप साथ देंगे ,अवश्य सीख जाऊंगा, भाई जी 

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2013 at 10:09am

अपने मंच का एक संवेदनशील पाठक कवि हो गया !

इस वैचारिक कायाकल्प पर अतिशय बधाइयाँ, जीतभाईजी.

शुभ-शुभ

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on July 23, 2013 at 11:21pm

आदरणीय जीतेंद्र जी, बढ़िया कविता लिखी है...
हार्दिक बधाइयाँ !!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 23, 2013 at 7:20pm

आ जाओ

बस आ ही जाओ

मेरी जिन्दगी 

छाँव, तृप्ति और श्वास

मेरी तुम !--------------पूरी रचना के भाव को समेटे सुन्दर पंक्तियों में आपकी जीत दिखाई दे रही है  |

हार्दिक बधाई श्री जितेन्द्र "जीत" जी 

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 6:22pm

बहुत ही भाव पूर्ण शब्दों मे पिरो कर रची गई कविता के लिए बधाई स्वीकारें , आ० जितेंद्र भाई जी ।  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 23, 2013 at 6:09pm

प्यासे को पानी सा, जेठ में सावन सा, धूप में छाँव सा कोई अपना... उसे पुकारते अंतर्भावों की अभिव्यक्ति का सुन्दर प्रयास 

हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी तरही मिसरे पर आपने ख़ूब ग़ज़ल कहीं। हार्दिक बधाई। अमित जी की टिप्पणी के अनुसार बदलाव…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, मेरा आशय है कि लिख रहा हूँ एक भाषा में और नियम लागू हों दूसरी भाषा के, तो कुछ…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"... और अमित जी ने जो बिंदु उठाया है वह अलिफ़ वस्ल के ग़लत इस्तेमाल का है, इसमें…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
".हम भटकते रहे हैं वहशत में और अपने ही दिल की वुसअत में. . याद फिर उस को छू के लौटी है वो जो शामिल…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. संजय जी,/शाम को पुन: उपस्थित होऊंगा.. फिलहाल ख़त इस ग़ज़ल का काफ़िया नहीं बनेगा ... ते और तोय का…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//चूँकि देवनागरी में लिखता हूँ, इसलिए नस्तालीक़ के नियमों की पाबंदी नहीं हो पाती है। उर्दू भाषा और…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।  6 सुझाव.... "तू मुझे दोस्त कहता है…"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी, //अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए, अब जब कि जान जाना…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//'इश्क़ ऐन से लिखा जाता है तो  इसके साथ अलिफ़ वस्ल ग़लत है।//....सहमत।"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service