मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम ।
मुझको जीने न दे बेवफाई का गम ।
बदले दुआ के दगा दे गये ।
मोहब्बत की ऐसी सजा दे गये ।
कोई जाकर उन्हें ये बताये ज़रा ,
क्या माँगा था हमने वो क्या दे गये ।
ये हाल दिल का मै किस से कहूँ ,
कौन समझेगा दिल की दुहाई का गम ।
मेरे टूटे दिल की वफ़ा के लिए ।
इन धडकनों की सदा के लिए ।
तुझको कसम है कि मिलने मुझे ,
बस एक बार आजा खुदा के लिए ।
जिसको मिला है ये जाने वही,
दिल में छुपी तनहाई का गम ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज
Comment
जुदाई के गम को अभिव्यक्त करती विरह रस की नज़्म के लिए शुभकामनाएं नीरज मिश्रा जी
चलिए अभी इससे काम चला लेते हैं अगली बार पर पुष्ट रचना डालिए ऐसा लगता है आप बाल-बच्चेदार आदमी के लिए लिखना पसंद नहीं करते
Bahot khoob................
मयूसी के आलम में लिखे बहुत ही सुंदर नज़्म.
neeraj ji sunadra rachna ..ek salah dena chahungi ye ek badiya geet ho sakta hai isake 2nd para me thoda sa change kar ke pahle para ke meter par kar leejiye ..
tujhko hai kasam ye ki milane mujhe
ek baar aaja bas too khuda ke liye
ye jisako mila hai jaane vahi
dil me chhupi tanhani ka gam .
krupya anyatha na le ..
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