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मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम [नज़्म ]

मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम ।

मुझको जीने न दे बेवफाई का गम ।

बदले दुआ के दगा दे गये ।

मोहब्बत की ऐसी सजा दे गये ।

कोई जाकर उन्हें ये बताये ज़रा ,

क्या माँगा था हमने वो क्या दे गये ।

ये हाल दिल का मै किस से कहूँ ,

कौन समझेगा दिल की दुहाई का गम ।

मेरे टूटे दिल की वफ़ा के लिए ।

इन धडकनों की सदा के लिए ।

तुझको कसम है कि मिलने मुझे ,

बस एक बार आजा खुदा के लिए ।

जिसको मिला है ये जाने वही,

दिल में छुपी तनहाई का गम ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज

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Comment

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Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2013 at 5:36pm

जुदाई के गम को अभिव्यक्त करती विरह रस की नज़्म के लिए शुभकामनाएं नीरज मिश्रा जी 

Comment by mrs.Preeti G.sharma on July 10, 2013 at 3:31pm
'Aadrniy neeraj ji, virh ki bhavna se bahut hi sunder rachna,, badhai aapko
Comment by राजेश 'मृदु' on July 10, 2013 at 1:49pm

चलिए अभी इससे काम चला लेते हैं अगली बार पर पुष्‍ट रचना डालिए ऐसा लगता है आप बाल-बच्‍चेदार आदमी के लिए लिखना पसंद नहीं करते

Comment by Shyam Narain Verma on July 10, 2013 at 12:57pm

Bahot khoob................

Comment by coontee mukerji on July 10, 2013 at 12:32pm

मयूसी के आलम में लिखे बहुत ही सुंदर नज़्म. 

Comment by Kavita Verma on July 10, 2013 at 12:20pm

neeraj ji sunadra rachna ..ek salah dena chahungi ye ek badiya geet ho sakta hai isake 2nd para me thoda sa change kar ke pahle para ke meter par kar leejiye ..

tujhko hai kasam ye ki milane mujhe 

ek baar aaja bas too khuda ke liye 

ye jisako mila hai jaane vahi 

dil me chhupi tanhani ka gam .

krupya anyatha na le ..

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