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जब तू था तो सूनापन नही था

इच्छा थी पर अरमान नही था 

अश्कों में भिगो लिया दामन मैंने 

प्यासी रहूंगी फिर भी सोचा नही था...

तेरी यादों से दिन बनते थे 

और जुदाई से काली रातें

तेरे प्यार से ज़िन्दगी बनी थी

और बेवफाई से उखड़ी सांसे...

तेरे गम से मेरा गम जुदा कब था

तू नही समझा बस यही गम था

छीन लिया समय से पहले रब ने

जुदाई का गम क्या पहले कम था...

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 1, 2013 at 6:35pm
""तेरेगम से मेरा गम जुदाकब था

तू नही समझाबस यहीगम था

छीन लिया समयसे पहलेरब ने

जुदाई का गम क्या पहलेकम था...""आदरणीया...आरती जी, बहुत ही खूबसूरत व मर्म स्पर्शी रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाऐं
Comment by Aarti Sharma on July 1, 2013 at 3:36pm

आपका तहेदिल से शुक्रिया अमन जी

Comment by Aarti Sharma on July 1, 2013 at 3:34pm

होस्लाफ्ज़ाही के लिए कोटि कोटि धन्यवाद राजकुमार सर...

Comment by Aarti Sharma on July 1, 2013 at 3:33pm

आपका तहेदिल से शुक्रिया वेदिका जी...सुख और दुःख तो जीवन के दो पहलु है और कोई भी इनसे अछुता नही है..

Comment by aman kumar on July 1, 2013 at 3:32pm

भावनायो के लहरों मे मानव उपर नीचे होता रहेता है पर किसी को मुकम्मल जहा नही मिलता ..........

सुंदर प्रस्तुति !

Comment by वेदिका on July 1, 2013 at 3:11pm

जाने किस अपने के दुःख को उकेर के रख दिया आपने आरती जी! 

भगवान् उसे सम्बल प्रदान करे और आप जैसी दोस्त उसके पास है ये अच्छा पहलू है!! 

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