For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिर्फ तुम्हारे लिए

तेरे अधरों की मुस्कान,

भरती मेरे तन में प्राण.

जीवन की ऊर्जा हो तुम,

साँसों की सरगम की तान.

मैं सीप तुम मेरा मोती ,

मैं दीपक तुम मेरी ज्योति.

कभी पूर्ण न मैं हो पाता ,

संग मेरे जो तुम न होती.

किन्तु दुख है कि मैं तुमको,

कभी नहीं खुश रख पाया .

तुमने मुझसे पाया घाटा ,

मैंने केवल लाभ कमाया.

बस खुदा से यही प्रार्थना,

खुश रक्खे तुझको हरदम.

मेरे प्राणों की कीमत भी,

तेरी खुशी के लिए है कम.

(सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित- प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’)

Views: 688

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' on July 18, 2013 at 2:39pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति प्रदीप जी ........उम्दा पंक्तियां का संयोजन ......

मैं सीप तुम मेरा मोती ,

मैं दीपक तुम मेरी ज्योति.

कभी पूर्ण न मैं हो पाता ,

संग मेरे जो तुम न होती.

किन्तु दुख है कि मैं तुमको,

कभी नहीं खुश रख पाया .

तुमने मुझसे पाया घाटा ,

मैंने केवल लाभ कमाया.

Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on July 2, 2013 at 12:44pm

विजय निकोरे जी...  बहुत बहुत आभार .... 

Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on July 2, 2013 at 12:42pm

डा.प्राची जी .... मन के भावों को समझकर सटीक विश्लेषण और उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत बहुत आभार .... आपकी बात अक्षरश सही है .

Comment by vijay nikore on July 2, 2013 at 7:35am

आदरणीय प्रदीप जी:

 

// मेरे प्राणों की कीमत भी,

तेरी खुशी के लिए है कम.//

अति मार्मिक भावाभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 2, 2013 at 7:26am

निश्छल निःस्वार्थ प्रेम..जब परिस्थितियों में उलझ सा जाए...... और प्रियतम ही उसे समझ न सके, तो ह्रदय अपने अन्तः भावों को जैसे ज़ाहिर कर देना चाहता हो शब्दों के दर्पण में....

ऐसी ही unmanipulated अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on July 1, 2013 at 9:57pm
Aarti Sharma ji... Dhanywad ...
Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on July 1, 2013 at 9:56pm
मीना पाठक जी और अरुण जी ... आपका बहुत बहुत शुक्रिया.......
Comment by Meena Pathak on July 1, 2013 at 3:11pm

किन्तु दुख है कि मैं तुमको,

कभी नहीं खुश रख पाया .

तुमने मुझसे पाया घाटा ,

मैंने केवल लाभ कमाया..... बहुत उम्दा .. हार्दिक बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 1:15pm

किन्तु दुख है कि मैं तुमको,

कभी नहीं खुश रख पाया .

तुमने मुझसे पाया घाटा ,

मैंने केवल लाभ कमाया. ... भाई जी इन पंक्तियों ने दिल को छू लिया, हार्दिक बधाई

Comment by Aarti Sharma on July 1, 2013 at 1:06pm

बहुत उम्दा प्रदीप जी..बधाई स्वीकारें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
1 hour ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service