चाँद सितारों संग, महकी बहारों संग,
देखो चुपके से रात चली है ।
गहरी खामोशी में, ऐसी मदहोशी में ,
दिल में फिर तेरी बात चली है ।
चाँद का जब दीदार करूँ तो ।
दिल के झरोखे से प्यार करूँ तो ।
यादों की महकी बारात चली है ।
पूछो ना काटी कैसे तनहाई ।
याद जो आये वो तेरी जुदाई ।
आँखों से मेरे बरसात चली है ।
थाम के बाहें बाहों में ऐसे ।
चले दो राही राहों में ऐसे ।
जैसे संग सारी कायनात चली है ।
प्यार से बढ़के कुछ भी नही है ।
मै भी नही हूँ तू भी नही है ।
रब से हमे ये सौगात मिली है ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज
Comment
सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको //
Kya Khub kaha hai Neeraj Ji- Dil mein Fir teri baat chali Hai ! Badhai sundar najm ke liye
वाह! यादों की महकी बारात चली है......
बरसात की बूँदें और प्यार के तराने , मौसम अनुकूल नज़्म ....क्या कहने ...!
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