For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रीत की रीत न कोई जाने [गीत ]

ऊद्धव कन्हैया से जाकर सिर्फ इतना बता दीजियेगा ।
हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।

उनकी खातिर दिलों जाँ लुटाया ।
और ज़माने को दुश्मन बनाया ।
उनके पीछे ये दुनिया भुलायी ।
उनकी राहों में पलकें बिछायी ।

उनके बिन बृज में क्या हो रहा है हाल सारा सुना दीजियेगा ।
हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।

उनके बिन अपनी हालत न पूछो ।
कैसी है दिल में चाहत न पूछो ।
हम तो मर मर के जीने लगे हैं ।
ज़हर अश्कों का पीने लगे हैं ।

दे रहे भेंट हम आंसुओं की चरणों में चढ़ा दीजियेगा ।
हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।

कह गये लौट आयेंगे परसों ।
बीत जायें न अब यूँ बरसों ।
एक घड़ी एक सदी बन गयी है ।
आँख हर एक  नदी बन गयी है ।

जो करके गए हमसे वादा याद उनको दिला दीजियेगा ।
हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।

पास होता अगर मन हमारा ।
सीखते योग हम भी तुम्हारा ।
लूट कर अपना सब ले गया वो ।
बदले में दर्द गम दे गया वो ।

जो खता जोगनों से हुयी हो आप भी प्रभु क्षमा कीजियेगा ।
हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।

बातें जब गोपियों ने सुनायी ।
ऊद्धव ने अपनी सुधि भी भुलायी ।
उनके चरणों में फिर गिर पड़े हैं ।
भूलकर ज्ञान प्रेमी बने हैं ।

बोले ऊद्धव हुनर प्रेम का अब कुछ हमे भी सिखा दीजियेगा ।
हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on July 8, 2013 at 4:08pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया गीतिका जी

Comment by Neeraj Nishchal on July 8, 2013 at 4:06pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय जितेन्द्र भाई ।

Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 6:23am

वाह! बहुत ही सुंदर गीत रचना की आपने आदरणीय नीरज जी!  

मैंने तो गाके ही इसको पढ़ा, कही भी प्रवाह बाधित नही लगा,!! 

उद्धव जी! को प्रेम की विद्या जरुर सीखनी चाहिए, अपनी राज नीति छोड़ कर। 

वरना अगर प्रेम उनके हाथ से निकल गया तो विरह की विद्या ही रह जाएगी सीखने को :))

सम्भल जाइये उद्धव जी! और प्रेम की क़द्र कीजिये!!

सुंदर अभिव्यक्ति के लिए शुभकामनाएं स्वीकारिये!!           

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 6, 2013 at 12:24pm
""उनकी खातिरदिलों जाँ लुटाया । और ज़माने को दुश्मन बनाया । उनके पीछे ये दुनिया भुलायी । उनकी राहोंमें पलकें बिछायी ।""......बहुत खूबसूरत प्रेमगीत आदरणीय..नीरज भाई जी, सच प्रेम में क्या कुछ नहीं हो जाता! अपनों को दुश्मन बना लेना, दुनियादारी भुला देना! ""कहगये लौटआयेंगे परसों । बीत जायें न अब यूँ बरसों । एक घड़ी एक सदी बन गयी है । आँख हर एक नदी बन गयी है ।"".....विरह तो विरह होती है,इक-इक दिन सदी समान! ""पास होता अगरमनहमारा । सीखते योग हम भी तुम्हारा । लूटकर अपना सब ले गया वो । बदलेमें दर्द गम दे गया वो ।"".......काश! हे ईश्वर, सब कुछ लूट ले गया वो...सभी को विरह में जीने की विद्या बता दो.......!आदरणीय..नीरज भाई, तहे दिल से बधाईया व शुभकामनाऐं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service