For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुनावी साल में नेता जी

आज हर ओर खुदी है सड़क
खड्डों मिट्टी की है भरमार
क्योंकि चुनाव को रह गया है एक साल


इसलिए हरेक नेता जी को
सड़क अब टूटी नज़र आने लगी है
अपनी बेरूख़ी जनता अब भाने लगी है

अब सफाई वाला ,कूड़ा उठाने वाला हाज़िरी लगाने लगे हैं
जो कभी दीवाली,लोहड़ी,होली पर बस बक्शिश लेने आते थे
सारा दिन पार्क के पास बैठे सुस्ताते थे
वहीं होती हाज़िरी,चाय और पानी
बिना कामके ही बेबाक जिंदगानी

अब प्यारी जनता का दर्द भी सुना जाएगा
क्योंकि चुनाव में नेता जी को इनके द्वारा ही चुना जाएगा
सब वादे आख़िरी छ: महीनों में पूरे किए जाएँगे
नेता जी अब मासूम जनता के लिए धक्के खाएँगे

रेडियो पर रोज सरकार की उपलब्धियां सुनाई जाती हैं
हर रोज नई नई योजनाएं बनाई जाती हैं
जो होंगी अभी के अभी क्रियान्वित सारी
क्योंकि अब है जनता से वोट लेने की बारी


भोली जनता फिर से सब मंहगाई भूल जाएगी
क्योंकि उनकी हर कोशिश अब टीवी पर सराही जाएगी
है चेतावनी मत भूलना ,किस तरह गुजरे हैं पांच साल
नहीं तो फिरसे हो जाओगे पांच साल के लिए बेहाल

मंहगाई घोटाले आसानी से भूल मत जाना 

यही समय है अगर है इनको सबक सिखाना 

वोट देना सोच समझ कर ए प्यारो 
अपने वोट को यूँ व्यर्थ न गंवाना यारो

....मौलिक व अप्रकाशित ....

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 9:24pm

ravikar ji namskaar ,shukriya sir  

Comment by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 9:23pm

hardik abhaar arun ,sneh banaye rakhen 

Comment by ram shiromani pathak on June 26, 2013 at 5:13pm

सुन्दर रचना आदरणीया सरिता जी,हार्दिक बधाई स्वीकारें///////

Comment by Shyam Narain Verma on June 26, 2013 at 5:08pm

नेताओं की कारस्तानी पर. सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें................

Comment by रविकर on June 26, 2013 at 4:24pm

बहुत बहुत बधाई आदरणीया-

Comment by aman kumar on June 26, 2013 at 3:51pm

सार्थक सोच से लिखी रचना , पर 

वोट देना सोच समझ कर ए प्यारो 
अपने वोट को यूँ व्यर्थ न गंवाना यारो !

भारत मे विकृत लोकतंत्र है यहा सब जाति , नारे , धर्म, .................................१ जैसी चीजों पर वोट देते  है| और अब ५०% अब वोट देते ही नही ! 

आभार  !

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 26, 2013 at 3:09pm

आदरणीया सरिता जी सत्य सटीक, यथार्थ का सुन्दर चित्रण, अच्छा व्यंग कसा है आपने नेताओं की कारस्तानी पर. सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 2:42pm

बसंत नेमा जी शुक्रिया इस हौंसला अफ्साई के लिए 

Comment by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 2:41pm

 shalini rastogi जी शुक्रिया 

Comment by shalini rastogi on June 26, 2013 at 2:33pm

बहुत खूब सरिता जी .. देश की स्थिति का बहुत यथार्थवादी चित्रण किया है आपकी रचना ने ... बधाई   

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service