खण्ड खण्ड में विभक्त है मनुष्यता अपार
आसुरी प्रवृत्ति का प्रहार ये प्रचण्ड है
आ रहा समक्ष भी न देव शक्ति का प्रभाव
दुष्ट को प्रताड़ना विधान या न दण्ड है
सन्त हीन है समाज, शक्तिवान में प्रभूत --
आज देख लो सखे बढ़ा हुआ घमण्ड है
भारती अपंग हो गई सुनो परन्तु मित्र
घोष हो रहा कि राष्ट्र नित्य ही अखण्ड है
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
Comment
प्रभूत आभार अशोक जी
सादर, प्रतिक्रया पता नहीं किस कारण आदरणीय राज कुमार जी की प्रतिक्रया में चली गयी है. देख लें.सादर.
आदरणीय डॉ. आशुतोष वाजपेयी साहब सादर, देश के वर्तमान हालातों पर सरकार के झूठ पर खिन्नता प्रदर्शित करते सुंदर मनहरण छंद पर सादर बधाई स्वीकारें.
शालिनी जी, लक्ष्मण जी, सीमा जी, अनुज जी, विजय जी, राजकुमार जी, जवाहर जी, केवल प्रसाद जी आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद और आभार......
आ0 आशुतोष भाई जी, बहुत सुन्दर।...’भारती अपंग हो गई सुनो परन्तु मित्र, घोष हो रहा कि राष्ट्र नित्य ही अखण्ड है ’ शानदार तेवर वाह! बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें। सादर,
हरेक शब्द है प्रचंड मेघ की दहाड़ है
मानवीय कुसंस्कारों ,अपचेष्टताओं का और राष्ट्रीय वेदनाओं का पीड़ादायी रेखांकन , त्राण दो भगवान .
बहुत सुन्दर .....
राष्ट्र के प्रति प्रेम भाव को प्रगट करने के लिए राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से सम्बंधित जो चिंता आपने जताई है वही आपके राष्ट्रप्रेमी प्रवृत्ति को उद्घाटित कर रही ...सुन्दरएवं प्रवाहमान कवित्त के माध्यम से प्रस्तुत आपके भावों के लिए आपको हार्दिक बधाई आशुतोष जी
सुंदर उदघोष रचना के जरिये बधाई, मेरे मन के उदगार आदरणीय डॉ आशुतोष जी -
घोष हो रहा कि राष्ट्र नित्य ही अखंड है
मनुज कर रहा भारत माँ की खंड खंड है
आंसुरी प्रवर्ती का प्रहार ये प्रचंड है
तनाव में जी रहा मनुज उसीका दंड है | - लक्ष्मण लडीवाला
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