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!!! प्यारी बेटी !!!


बेटी, सुनहरी धूप सी.....!
बेटी, नीम की छांव सी....!
बेटी, धन सी कामना...!
बेटी, कुल को तारना....!
बेटी, जीवन की आदि.अन्त....!
बेटी, मंदिर की साधु-संत....!
बेटी, गृहस्थ की पहली कड़ी.....!
बेटी, आनन्द की बेल चढ़ी......!
बेटी, दो कुटुम्ब की आधार-शान....!
बेटी, मधु-अमृत और सम्मान......!
बेटी सुख-दुःख की छाया.....!
बेटी, श्रृंगार की पेटी-माया...!
बेटी, सतरंगी इन्द्रधनुष...!
बेटी, सास की साजिश......!
बेटी, कोरा कागज ......!
बेटी, भव में जहाज.....!
बेटी, तेरा क्या?... हक है......?
यह पूछने वाले आप कौन है?


के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 5, 2013 at 7:37pm

बेटी, तेरा क्या?... हक है......?
यह पूछने वाले आप कौन है?-----वर्तमान में जो कुछ हो रहा है उसमे तो बेटी के गुणगान करने का भी हक़ कहा रह गया है ?

मन में बड़ा पश्चाताप होता है, ग्लानी होती है | रचना के माध्यम से सोच को मजबूर करने के लिए बधाई 

Comment by vijay nikore on May 5, 2013 at 4:48pm

आदरणीय केवल जी:

 

//बेटी, तेरा क्या?... हक है......?
यह पूछने वाले आप कौन है?//

 

बेटी को ऊँचा उठा कर अंत में आपने यह कितना बिंधता प्रश्न उठाया है !

बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by manoj shukla on May 5, 2013 at 4:18pm
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....सादर बधाई स्वीकार करें आदर्णीय
Comment by coontee mukerji on May 5, 2013 at 3:20pm

बेटी की इतनी सारी  अभिव्यक्तियाँ ....... केवल जी आपने तो नव रत्न  को एक ही माला में पिरो दिये हैं .....और यह माला  उन्हीं लोगों के पास जाएगी  जो इसकी कदर जाने........सदर / कुंती .

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