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आ भी जा इक पल को कभी यूँ भी

"ख्यालों से मेरे उतर आये सामने तू कभी
थम जाये ये वक़्त भी ,उस पल को वहीँ
आ भी जा इक पल को कभी यूँ भी

मचली लहरें ज्यों साहिल को चूमें
आये बहार यूँ के हर धड़कन झूमे
बहकी सबा ,महकी फ़ज़ा ज्यूँ तुझको छू ले
महव ए ख्वाब ये लम्हे ,गुम हो जाये रूह में

तेरी खुशबू से ये रातें हो रु ब रु कभी
थम जाये ये वक़्त भी ,उस पल को वहीँ
आ भी जा इक पल को कभी यूँ भी

मनभावन है रैन मगर दिल को है चैन कहाँ
बसी हर सू में तू ही तू ,झपके कैसे नैन भला

मेरे साँसों की हर नवा करती है तआकुब तेरा
बहुत हुआ इंतज़ार प्रिये ,कर उल्फत की इब्तेदा

आए इक दिन तू ,जिंदगी से है ख्वाहिश यही
थम जाये ये वक़्त भी ,उस पल को वहीँ
आ भी जा इक पल को कभी यूँ भी''

~~~चिराग़

April 19, 2013

"पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 440

Comment

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:45pm

खूब सूरत अभिव्यक्ति हेतु बधाई, आदरणीय केडिया जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 23, 2013 at 9:43pm

सुकोमल खूबसूरत ख्वाहिशों की सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 5:16pm

वाह! बहुत प्यारी रचना आदरणीय चिराग जी.बहुत बहुत बधाई कुबुलें.

Comment by Kedia Chhirag on April 23, 2013 at 12:32pm

बहुत बहुत धन्यवाद ,कुंती जी ...सर्वथा स्नेहाशीष एवं पथ प्रदर्शन की अभिलाषा रहेगी ......

Comment by coontee mukerji on April 22, 2013 at 3:50am

बहुत सुंदर रूमनियत से पूर्ण .....मन को छू देने वाली कविता  . बहुत बधाई / सादर ..कुंती .

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