अभिलाषा
Comment
आदरणीय राम जी:
//दिल से निकले सुन्दर भाव //
कविता की सराहना के लिए हार्दिक आभार।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीया प्राची जी:
// सुकोमल भाव लिए प्रवाहमय सुन्दर प्रस्तुति... स्वप्नों की ओर //
आपसे मिली सराहना मेरे लिए उपहार है, प्राची जी। हार्दिक धन्यवाद।
सादर,
विजय
आदरणीय बृजेश जी:
//बहुत भावुक निमंत्रण और आहवाहन! अप्रतिम! दिल में दूर तक गहरे पैठती हुई।//
इस रचना को अप्रतिम कहकर आपने मुझको जो मान दिया है
उसके लिए मै आपका आभारी हूँ।
स्नेह बनाए रखें।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीय संदीप जी:
//बहुत ही भावपूर्ण रचना...दिल मे बहुत गहरे उतरी है ...इक इक शब्द मे आपने दिल उतार दिया है//
रचना के भाव पाठक को छू जाएँ, यह लेखक के लिए वरदान है।
इतनी सराहना के लिए मेरा हार्दिक आभार।
सादर,
विजय निकोर
और हाँ, सामग्री के लिए
ले आना कुछ सूखी फलियाँ
नदी के पास उसी खेत से तुम
जिसकी ऊँची-लम्बी फ़सल में हम
झाड़ियों में छिप जाते थे
और जहाँ पर मैंने तुम्हारे पैर में चुभा काँटा, स्नेह से
एक और काँटे से निकाला था,
और तुम देर तक मेरे कंधे का
सहारा लिए खड़ी रही थी।
अन्तःमन से निकली भावपूर्ण अभिव्यक्ति
हार्दिक बधाई
विजयाश्री
मन के हर परत को छूती आपकी रचना बहुत ही अच्छी लगी, सादर
भावपूर्ण अभिव्यक्ति | आपकी रचन्नाए अंतर्मन के सुनहरे पलों के भाव संजोये ही होती है, और अंतर्मन से
लोखी रचना सुन्दर सुन्दर रंग समाते है, हार्दिक बधाई श्री विजय निकोरे जी
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