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मंदार माला सवैया :-
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राजा वही जॊ प्रजा कॊ दुखी दीन, संताप हॊनॆ न दॆता कभी !!
बाजी लगा दॆ सदा जान की आन,ईमान खॊनॆ न दॆता कभी !!
आनॆ लगॆं आँधियाँ राज मॆं आँख,आँसू भिगॊनॆ न दॆता कभी !!
खाता कभी घास की रॊटियाँ और, औलाद रॊनॆ न दॆता कभी !!


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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 6, 2012 at 2:06am

वीनस केसरी जी दिल की गहराइयॊं से आभार आपका,,,,,,,,,,,,,,

Comment by वीनस केसरी on December 6, 2012 at 12:49am

शानदार

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