सूरज ने फक्कड़ से कहा:
"मुझे झुक कर सलाम कर !"
"तुझे सलाम करूं ? मगर क्यों?"
"ये दुनिया का दस्तूर है, चढ़ते सूरज को सभी सलाम करते हैं !"
"करते होंगे, मगर मैं तेरे आगे सिर नहीं झुकऊँगा !"
"मगर क्यों ?"
"क्योंकि तू बहुत कमज़ोर और निर्बल है, जिस दिन सबल हो जाएगा मैं तेरे आगे सर ज़रूर झुकाऊंगा !"
"कमज़ोर और निर्बल ? और वो भी मैं ?"
"हाँ !"
"तो अगर मैं ये साबित कर दूं कि मैं सबल हूँ, तो क्या तुम मुझे सलाम करोगे?"
"एक बार नही सौ सौ बार सिर झुकाकर सलाम करूँगा !"
"तो फिर जल्दी से बतायो कि तुम्हें यकीन दिलवाने के लिए मुझे क्या करना होगा ?
फक्कड़ ने मुस्कुराते हुए कहा:
"एक बार, सिर्फ एक बार रात में उदय होकर दिखा दो !"
Comment
योगराज जी बहुत रोचक एवं सन्देश परक कहानी है मजा आ गया पढ़ के |अपनी सबलता पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए और कभी किसी को फक्कड़ नहीं समझना चाहिए हर कोई सम्पूर्ण नहीं होता कोई न कोई कमजोरी जरूर होती है जो फक्कड़ जैसे पकड़ लेते हैं इसी से मिलती एक घटना बताती हूँ एक गाँव की लड़की के सामने एक शहर की लड़की शेखी बघार रही थी की मेरे घर में तीन चार कारे हैं तो गाँव की लड़की ने कहा तो क्या हुआ मेरे घर में तीन चार गाय हैं जो दूध देती हैं क्या तेरी कारे दूध दे सकती हैं ???
आपकी तारीफ मेरे लिए बहुत मायने रखती है भाई अरुण पाण्डेय जी, आपको लघुकथा पसंद आई यह जान कर बहुत संतोष हुआ. आपका हार्दिक आभार.
महिमा जी, आपको लघुकथा पसंद आई - आपका हार्दिक आभार. उस से भी ज्यादा ख़ुशी यह जान कर हुई कि इस प्रयास से आपको लघुकथ का शिल्प समझ आया.
धन्यवाद भाई भास्कर अग्रवाल जी.
संभव हो इसे पढ़ा हो , पर आज फिर पढ़ा ग़ज़ब तासीर .. सशक्त रचना | हार्दिक साधुवाद !!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2025 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online