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सत्य (प्रेरक प्रसंग)

बहुत पुरानी बात है कहीं एक गावं था, जहाँ के अधिकाँश लोग येन केन प्राकरेण धन कमाने में लगे हुए थे | उन सब के लिए पैसा ही भगवान था | लेकिन उसी गावं में एक ब्राह्मण ऐसा भी था जिसने कभी भी कोई बुरा काम नही किया था, सत्य की राह पर चलते हुए जो भी मिलता उसी से गुजारा करता था | गाँव वाले कतई उसकी इज्ज़त नहीं किया करते थे क्योंकि वह बेचारा निर्धन था | एक दिन उस ब्राह्मण ने पूजा पाठ करते हुए भगवान को उलाहना दिया,

"हे ईश्वर, इस पूरे गाँव में एक मैं ही हूँ जो कि धर्म और सत्य की राह पर चल रहा हूँ, मगर फिर भी पूरा गाँव तो खुशहाल है और अकेला मैं ही भूखा मर रहा हूँ |"

उसी समय आकाशवाणी हुई :
"तुम्हारा पूरा गाँव पाप में डूब चुका है और सभी लोग केवल तुम्हारे सत्य के वजह से ही बचे हुए हैं | लेकिन अब समय आ चुका है कि गाँव वाले तुम्हे यहाँ रहने भी नहीं देंगे |
"अब मैं क्या करूँ भगवान ?" चिंतित ब्राह्मण से पूछा |
फिर से उसे सुनाई दिया:
"तुम अपना कर्म करो और गाँव छोड़ कर चले जाओ |"
उसने कहा "नहीं प्रभु मैं ये गाँव छोड़ कर नहीं जाऊंगा |"
"जैसी तुम्हारी मर्जी |" और आकाशवाणी बंद हो गई |

वह ब्राह्मण सीधा अपनी पत्नी के पास गया और पूरी बात उसको बता दी | दोनों ने बिचार किया कि अगर हमारी वजह से गाँव बचा हुआ है तो हम हरगिज़ भी ये गाँव छोड़ कर नहीं जायेंगे |

उसी गाँव में दो चोर भी रहते थे थे जो अक्सर उस ब्राह्मण के लिए परेशानियां पैदा करते रहते थे | उन चोरों ने सोचा कि क्यों न इस ब्राह्मण को झूठी चोरी के आरोप में फसाकर गाँव निकाला करवा दिया जाए | वो दोनों रात को चोरी का सामान ब्राह्मण के घर छुपा दिया | अगले दिन चोरी के आरोप में उस ब्राह्मण को पकड़ लिया गया और मुखिया के द्वारा गावं निकाले का हुक्म सुना दिया गया |

ब्राह्मण और उसकी पत्नी गाँव वालो की चिंता करते हुए गाँव के बाहर निकल गए | मगर गाँव जस का तस रहा और गाँव का कुछ भी नहीं बिगड़ा | तब ब्राह्मण ने भगवान को आवाज लगाई:

"हे प्रभु आप तो आप कह रहे थे हमारे सत्य पर गावं टिका हुआ हैं, तो अब ये गाँव नष्ट क्यों नहो हो रहा हैं ?"
तो उसी समय आकाशवाणी हुई :
"हे विप्रवर, अब भी गाँव तुम्हारे ही सत्य पर टिका हुआ हैं क्योंकि अभी भी उस गावं में तुम्हारा घर मौजूद हैं |"

वह ब्राह्मण अपनी पत्नी सहित अपने गाँव से दूर एक मंदिर में रात बिताने के लिए रुक गया | सुबह आँख खुली तो मंदिर का पुजारी आया और बोला :

"कल आपका पूरा गाँव गंगा जी के आगोश में समां गया | रात को गावं वालों ने आपके घर को आग लगा दी, जैसे ही घर जल कर राख हुआ तो अचानक गंगा जी की एक प्रचंड लहर आई और देखते ही देखते पूरे गाँव को बहा ले गई | यह प्रभु का लीला ही हैं कि आप दोनों सही सलामत है |"

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Comment by Rash Bihari Ravi on October 28, 2010 at 1:26pm
bahut bahut dhanyabad saurabh bhaiya is ijjat afjai ke liye,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 28, 2010 at 10:43am
रविभाई.. आज आपके लिखे को पढ़ने का संयोग बन पड़ा..
बड़ा अद्भुत वर्णन है.. और आपने इस कथा को उसी मनोयोग से इसे यहाँ प्रस्तुत किया है जिस मनोयोग से वो ब्राह्मण अपने गाँव के प्रति संवेदनशील था.. मुझे आपकी प्रस्तुत शैली बहुत भायी है. ऐसा लगा जैसे पवित्र और साफ-सुथरा ’कल्याण’ का कोई अंक पढ़ रहा हूँ.. ईश्वर सहाय्य हों.. पुनश्च बधाई.
Comment by Rash Bihari Ravi on October 26, 2010 at 4:24pm
chaturvedi ji ,ratnesh ji ,ganesh ji ,preetam ji ,neelam ji and pooja ji sab kisi ko babut bahut dhanyabad
Comment by Pooja Singh on October 26, 2010 at 2:08pm
गुरु जी ,
प्रणाम पहले मै आपको धन्यवाद दूगी इस ज्ञान वर्धक प्रसंग को यहा रखने के लिए क्योकि आज के समय में ऐसे प्रेरक प्रसंगों की बहुत आवश्यकता है | आज के समय में जो लोग सत्य की रह पर चल रहे है उनके लिए बहुत सारी समस्याए है , फिर भी सत्य के साथ रहना चाहिए |
Comment by Neelam Upadhyaya on October 26, 2010 at 9:58am
bahut hi badhiya aur prerak prasang hai Ravi ji. Sach hai, kuchh logo ki achhayee ki wajah se hi yah sansar chal raha hai.
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on October 25, 2010 at 10:17pm
बहुत ही बढ़िया कथा है गुरु जी,,,,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 25, 2010 at 8:43pm
गुरु जी, बहुत ही सुंदर, ज्ञानवर्धक और प्रेरक प्रसंग है यह, आज यदि धरती रुकी हुई है तो जरूर कही ना कही कुछ सात्विक विचार के लोग है, कारण की अभी तक प्रलय नहीं हुआ है, धन्यवाद इस प्रेरक प्रसंग के लिये |
Comment by Ratnesh Raman Pathak on October 25, 2010 at 6:12pm
.गुरु जी यह आपका प्रसंग वाकई में प्रेरक है !
इस प्रेरक प्रसंग के माध्यम से अपने सायद यह संदेश देने की कोसिस की है की सत्य आज भी जिन्दा है हमारे समाज में ,हमारे देश में ,हमारे आस पास .इसलिए सत्य के रास्ते पर चलने में अगर परेशानी आ रही हो तो घबराये नहीं ,क्योकि उपरवाला आपके साथ है .

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