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(१)
कभी फुर्सत में चले आना,हँस के जी लेंगे
ज़िक्र उनका न करेंगे होंठ सी लेंगे
दिल तो आखिर दिल है उदास भी हो सकता है
दर्द गर बढ़ भी गया दिल का,जाम पी लेंगे
 
(२)
हम मुहब्बत के पुजारी हैं इश्क करते हैं
ग़म के सहरा पे चलनें का दम भरते है
दर्द का रिश्ता तो इस दिल पुराना है दोस्त
हम तो तन्हाई में जीने का हुनर रखते हैं

(3)

 
बेगुनाही का सबूत हमसे न मांगो यारो
हमने तो चाहा,खता इतनी सी थी मेरी
हम तो ग़म के प्याले भी हँसके पीते रहे
उनको ऐतवार न था,गलती थी क्या मेरी



दीपक 'कुल्लुवी'
31 अगस्त 2012

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Comment

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 10:39am
शुक्रिया रेखा जी,राजेश जी,लक्ष्मण जी 
साक़ी,शराब,शबनम,चिराग,ग़म,तन्हाई  हम शायरों की शायरी के अनमोल  गहने होते हैं इनके बिना शायरी अधूरी सी लगती है I
गीत 
न पूछो 

पूछो न कोई मुझसे क्यों पीता शराब हूँ-2

अब किसको क्या पता है मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२
--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------
(1) 'दीपक' था नाम जलना था,जलते रहे ऐ-दिल 
बुझने से पहले बेवफा इक बार आके मिल 
देती है ताहने दुनियाँ क्या सचमुच ख़राब हूँ
अब किसको क्या पता है मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२
--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
01 -09 -12 .
09350078399
geet still to complete today.....
Comment by Rekha Joshi on August 31, 2012 at 9:11pm

हम मुहब्बत के पुजारी हैं इश्क करते हैं
ग़म के सहरा पे चलनें का दम भरते है
दर्द का रिश्ता तो इस दिल पुराना है दोस्त
हम तो तन्हाई में जीने का हुनर रखते हैं,खूबसूरत पंक्तियाँ आदरणीय दीपक जी ,बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 31, 2012 at 7:08pm

बेगुनाही का सबूत हमसे न मांगो यारो 
हमने तो चाहा,खता इतनी सी थी मेरी 
हम तो ग़म के प्याले भी हँसके पीते रहे 
उनको ऐतवार न था,गलती थी क्या मेरी-----वाह बहुत बेहतरीन पंक्तियाँ ---सुन्दर रचना 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 31, 2012 at 3:36pm

dhanyabad laxman ji....

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 2:43pm
हम तो तन्हाई में जीने का हुनर रखते हैं
यह तो ठीक है, पर जाम तो साथ २ लो, गम दूर हो जायेंगे 
बढ़िया भाव पिरोये है, बधाई दीपल शर्मा कुलुवी जी 

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