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(१) बच्चों के प्रति

दिल से प्रणाम करो, पढ़-लिख नाम करो, 

हाथ आया काम करो, यही देश प्रेम है,

अपना भले को मानो, दुष्ट ही पराया जानो,

सबका भला ही ठानो, यही देश प्रेम है |

सदा सद-बुद्धि धरो, बुद्धि से ही युद्ध करो,

हवा-पानी शुद्ध करो, यही देश प्रेम है |

जिम्मेदारी ये हमारी, खुश रहें नर-नारी,

बचे न कोई बीमारी, यही देश प्रेम है ||

 

(२) समझदारी

आर्कीटेक्ट जोरदार, ठेकेदार दमदार,

अच्छे रखें किरदार, जिनमें ईमान है |   

थोड़ा सा ही अंतर है, लगता है माल वही,

अच्छी नई तकनीक, भवन की जान है |

मत घबराएं कभी, बहका कोई न पाए,

वाल बांधें नौ-नौ इंची, यही फरमान है |

माल अच्छा ही लगाएं, मजबूत देश बने,   

भवन भूकंपरोधी, तो ही कल्याण है ||

 

(३) ऐतिहासिक तथ्य

'सिन्धु' से ही 'हिन्दू' बना, कहते जिसे हैं जाति,

'हिन्दू' सुविचारधारा  जाति नहीं, शान है |

सच्चे सारे आदि-ग्रन्थ, जिनमें है रामसेतु,

सच्चे ही हैं धर्मग्रन्थ, सामने प्रमाण है |

बेचो नहीं रामसेतु, इसमें जो थोरियम है,

कहते हैं साइंटिस्ट, कहता विज्ञान है |

उठा यदि पूरा देश, भग्न होंगें तेरे केश,

दिल में रहेगा क्लेश, खुद ज्ञानवान है ||

--अम्बरीष श्रीवास्तव

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 12, 2012 at 7:22am

वाह वाह आदरणीय अम्बरीश सर.........अत्यंत सुन्दर घनाक्षरी | विशेष रूप से तीसरी | हार्दिक बधाई स्वीकारें........

कृपया ध्यान दे...

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