"आज तो आपने इनकी मांग पूरी कर दी, लेकिन कल इन्होने कोई और महंगी चीज़ मांग ली तब आप क्या करोगे ?"
"चिंता काहे करती हो भगवान्, अभी तो एक और किडनी मौजूद है मेरे शरीर में."
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हे भगवान्! किस सन्नाटे में छोड़ जाती है कथा.... और यह कथा भी कहाँ... सच्चाई ही तो है हमारे तथाकथित उन्नत और सभ्य समाज की... जहां आज तक भी दहेज़ की भट्टी का ताप बढ़ता ही जा रहा है... आदरणीय योगराज भईया इस झकझोर देने वाली उद्देश्यपूर्ण लघुकथा के लिए अनुज का सादर नमन स्वीकारें....
स्वागत है आदरणीय योगराज जी ! जय ओ बी ओ !
आदरणीय सौरभ भाई जी, दिल से धन्यवाद देता हूँ आपको. सिर्फ इसीलिए नहीं कि आपने लघुकथा की मुक्तकंठ से प्रशंसा की अपितु इसलिए भी कि आपने बहुत गहरे उतर कर इसके सभी पहलुयों को देखा समझा है. एक बाप को अपनी एक किडनी बेचनी पडी, और दूसरी बेचने में भी उसे गुरेज़ नहीं मुझे इसी बात ही को तो हाईलाईट करना था. क्या सही था क्या गलत था इस बात का फैसला मैंने भार्गव जी पर ही छोड़ दिया था. अब इस घटना को अगर कोई पलायनवादी सोच के दायरे में रखता है तो मैं समझूँगा कि मेरा प्रयास सफल रहा, क्योंकि यह कहानी है ही ऐसे व्यक्ति की. :))).
आदरणीय अम्बरीश भाई जी, मुझे आपकी हर बात से इत्तेफाक है. अगर भार्गव जी के स्थान पर मैं खुद होता तो शायद वही करता जैसा कि आप फरमा रहे हैं. मैंने सुश्री सविता सिंह से भी यही निवेदन किया था, और आपसे भी कर रहा हूँ कि इस लघुकथा से माध्यम से मुझे किसी समाधान की या कानून के डंडे के खौफ से बेटी को बसाने वाले पिता की तो बात ही नहीं करनी थी. मेरा उद्देश्य तो केवल एक साधारण बाप की संवेदनायों को उजागर करना मात्र था. आप जैसे विद्वान की दृष्टि इस रचना पर पड़ना ही मेरे लिए सब से बड़ा ईनाम है. सादर धन्यवाद.
सुश्री सविता सिंह जी आपका स्वागत है, मैं आपका आशय बखूबी समझ पा रहा हूँ और उसका सम्मान भी करता हूँ. लेकिन मुझे यहाँ किसी समाधान की तो बात ही नहीं करनी थी, मेरा उद्देश्य तो केवल एक बाप की संवेदनायों को उजागर करना मात्र था. बहरहाल, आपने लघुकथा पढ़ी और अपनी बहुमूल्य राये दी, इसके लिए दिल से धन्यवाद.
भाई कुमार गौरव अजीतेंदु जी, उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार व्यक्त करता हूँ. .
अग्रज प्रदीप सिंह कुशवाहा जी, लघुकथा पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
लघुकथा पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया राजेश कुमारी जी.
भावेश राजपाल जी लघुकथा पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
लघुकथा पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया डॉ प्राची जी.
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