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बोलो न माँ ..........क्यों बेटियाँ बोझ होती हैं !

क़त्ल करना है तो सबका करो
मुझ अकेली को मारने से क्या होगा
अगर मिटाना है मेरी हस्ती को
तो सबको मिटाओ ..............
मुझ अकेली को मिटाने से क्या होगा ..............

 
हूँ गुनहगार अगर मैं दादी 
तो दोषी तो आप भी है 
सजा देनी है तो खुद को भी दो 
मुझ अकेली को देने से क्या होगा .....................
 
किया होता अगर ऐसा ही 
दादी के पापा ने दादी के साथ 
तो क्या आज आप होते पापा 
जरा सोच कर तो देखिये .....................
मेरे इस नन्हे से जिस्म के टुकडो को 
जो रंगे हुए है खून से .................
एक छोटी सी सुई चुभ जाती है जब उँगली में 
तो कितना दर्द होता है ........
जानते है न पापा आप ..........................
फिर कैसे ................फिर कैसे पापा 
कैसे आपने कर दिया अपने ही अंश को 
उन सब के हवाले काटने के लिए ...............
एक नन्ही सी जान को मरने के लिए 
अगर बोझ ही उतरना है ................
तो दादी को, माँ को, बुआ को भी मारो
मुझ अकेली को मारने से क्या होगा 
क़त्ल करना है......................................
 
कितनी आसानी से मान गई आप भी माँ 
क्यों ---- क्या मैं कोई भी नही थी आपकी
या मज़बूरी थी आपकी भी ..........
भगवान की तरह..................
भगवान जिन्हें मालूम है अपने इंसानों की फितरत 
जो जानते है ----- इन लालची इंसानों की हैवानियत को 
लेकिन फिर भी भेज देते है हमे इस दुनिया में 
जिन्दा क़त्ल होने के लिए ..............
बिन जन्मे ही मार दिए जाने के लिए 
 
या आप भी डर गयी थी दादी और पापा की तरह
कि कही मैं आप पर बोझ न बन जाऊँ
अपने बेटे का पेट तो भर सकते है आप
लेकिन क्या मुझे दो वक़्त की रोटी नही दे पाते
क्या मैं इतना खा लेती माँ .........................

कि आप लोगो के लिए मुझे पालना मुश्किल हो जाता
क्या मैं सच में बोझ बन जाती माँ
आपके लिए भी ..................
क्या इसीलिए आप सबने मुझे जन्म लेने से पहले ही मार दिया
क्या सच में ही बेटियाँ बोझ होती है माँ
बोलो न माँ ..........क्यों बेटियाँ बोझ होती है !
 

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Comment

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Comment by Yogi Saraswat on July 3, 2012 at 3:50pm

सोनम जी आपकी कविताओं में भावनाएं बहुत होती हैं , दिल को छु जाने वाले शब्द होते हैं आपके ! वाह , उम्मीद करता हूँ आप हमेशा यही सोच बनाये रखेंगी !

Comment by Bhawesh Rajpal on June 7, 2012 at 4:19pm
रोंगटे खड़े कर देने वाली रचना  ! अजन्मी बेटी की करुण पुकार  !  ह्रदय पिघलाती भाषा !  भ्रूण हत्या करने वालों  -  ज़रा इसे पढो  और तुम्हारी आत्मा जब तुम्हारे मुंह पर जूते मारेगी ,तब तुम्हें समझ में आएगा कि  फूल सी नाज़ुक , सुन्दर , अबोध और प्रसन्नता वर्धक बेटियां  ही सच्ची ख़ुशी देती हैं !
इसे पढ़ कर दिल रो उठा , कैसे कोई इतना निर्दयी हो सकता है , अपने ही दिल के टुकड़े को मार डाले ?
सोनम सैनी जी , आशा है इसी प्रकार से आप आगे भी भावनाओं को झकझोरती रहेंगी , संवेदनाओं  को जगाती रहेंगी !
हार्दिक बधाई ! - भवेश राजपाल  ! 
Comment by Ajay Singh on June 7, 2012 at 12:21pm

Really nice one, Heart touching expression........

Comment by Sonam Saini on June 7, 2012 at 10:12am

Thank u all of u.

Comment by Sonam Saini on June 7, 2012 at 10:11am

Thank u rajesh mam.


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Comment by rajesh kumari on June 7, 2012 at 8:35am

हमारे समाज के इस क्रूरतम घिनौने चेहरे को आइना दिखाती हुई रचना बहुत मार्मिक बधाई आपको 

Comment by Natwar singh tomar on June 7, 2012 at 1:36am

very nice one

Comment by आशीष यादव on June 7, 2012 at 12:33am
एक अजन्मी बेटी के ये सारे प्रश्न हमारे समाज के गाल पर तमाचा ही तो हैँ।
अच्छी प्रश्नात्मक कविता रची आपने।
बधाई स्वीकारेँ
Comment by Rekha Joshi on June 6, 2012 at 11:03pm

Sonam ji 

या आप भी डर गयी थी दादी और पापा की तरह
कि कही मैं आप पर बोझ न बन जाऊँ
अपने बेटे का पेट तो भर सकते है आप
लेकिन क्या मुझे दो वक़्त की रोटी नही दे पाते
क्या मैं इतना खा लेती माँ ,dil ko chhuti hui rachna ,badhai 

Comment by Albela Khatri on June 6, 2012 at 9:20pm

वाह वाह  सोनम सैनी जी,
कन्या हत्या  के विरुद्ध  इतने  प्रभावी  रूप से  संदेशात्मक  काव्य रचने और यहाँ प्रस्तुत करने पर आपका  हार्दिक अभिनन्दन !
आपकी लेखनी में आग है.........ये बरक़रार रहे........शुभकामनाएं

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