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दुश्मनों तुम सरहदों के पार मत देखा करो

दुश्मनों तुम सरहदों के पार मत देखा करो॥
आँख जल जाएगी ये अंगार मत देखा करो॥

ऐ मसीहा इस तरह बीमार मत देखा करो॥
आदमी में सिर्फ तुम आज़ार मत देखा करो॥

इश्क़ में दीवानगी रांझा के जैसी गर नहीं,
हुस्न में फिर हीर जैसा प्यार मत देखा करो॥

चंद सिक्कों के लिए ईमान बिक जाते यहां,
आजकल के दौर का बाज़ार मत देखा करो॥

दिल जिगर को चाक करती हैं अदाएं आपकी,
मुस्कुरा के इस तरह सरकार मत देखा करो॥

दुश्मनों से भी कभी जाके मिलो दिल खोलकर,
गुल मिलेंगें बदले में या ख़ार मत देखा करो॥

बेबसी, बेचैनियाँ, बेताबियाँ, तनहाईयाँ,
क्या क्या दिल में हैं छुपाए यार मत देखा  करो॥

ख़ून मेरा भी बहा है इस वतन की शान में,
शक़ की नज़रों से हमें हर बार मत देखा करो॥

देख करके मुश्किलें “सूरज” न हिम्मत हारना,
ढूंढ लो रस्ता कोई दीवार मत देखा करो॥

 

                        डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

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Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 11, 2012 at 12:57pm

bahut khoob sooraj ji kya baa he har sher naayaab he mukammal ghazal maza aa gaya is shaandar ghazal ke liye bahut bahut mubarakbaad pesh karta hoon kubool karein

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 8, 2012 at 2:27pm

दिल जिगर को चाक करती हैं अदाएं आपकी,
मुस्कुरा के इस तरह सरकार मत देखा करो॥ वाह डा. साहब .. शानदार ..

Comment by Nilansh on June 7, 2012 at 12:37am

देख करके मुश्किलें “सूरज” न हिम्मत हारना,
ढूंढ लो रस्ता कोई दीवार मत देखा करो

 

ek aur acchi ghazal surya ji aapki

bahut badhaai

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 6, 2012 at 11:00pm

बेबसी, बेचैनियाँ, बेताबियाँ, तनहाईयाँ,
क्या क्या दिल में हैं छुपाए यार मत देखा  करो॥

गजल का हर शेर उम्दा है 

बहुत बढ़िया 

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 6, 2012 at 5:02pm

बहुत सुन्दर गजल , बहुत-बहुत  बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 6, 2012 at 4:38pm

ख़ून मेरा भी बहा है इस वतन की शान में,
शक़ की नज़रों से हमें हर बार मत देखा करो॥

देख करके मुश्किलें “सूरज” न हिम्मत हारना,
ढूंढ लो रस्ता कोई दीवार मत देखा करो॥लाजबाब ...सभी शेर शानदार हैं इस दो शेरों के लिए विशेष बधाई 

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