For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी निगाह की जादूगरी मैं कैसे लिखूं

तेरी निगाह की जादूगरी मैं कैसे लिखूं
दिखी तराश जो हुश्ने-परी मैं कैसे लिखूं

यहाँ 'न' दिल बिका पामाल का चाहत के लिये
दिवानगी लगी सौदागरी मैं कैसे लिखूं

न कायनात सी दिलकश यहाँ पे शै है को
खुदा बता तेरी कारीगरी मैं कैसे लिखूं

न तोड़ आइना झूठा कभी ये होगा नहीं
बड़ी कमाल है शीशागरी मैं कैसे लिखूं

कभी न तुम  रोना "दीप" जिसने वादा लिया
गजाल सी वही आँखें भरी मैं कैसे लिखूं

संदीप पटेल "दीप'

Views: 786

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 3, 2012 at 4:19pm

न तोड़ आइना झूठा कभी ये होगा नहीं
बड़ी कमाल है शीशागरी मैं कैसे लिखूं

 

 

संदीप जी अच्छी ग़ज़ल कही है, कुछ नए शब्दों का अर्थ सिखने को मिला , आभार आपका |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 1, 2012 at 11:58am

shukriya @arun bhai
actual meaning to yahi hai

par yahaan samjhane ke liye, jo ronda huaa ho,  jiski dasa dayneey ho,

gareeb hi pamaal hote hain isiliye yahaan ye harf istemaal kiya hai, yahaan iska meaning daman kiyaa huaa se hai......................aur daman to aap bhi jaante hain gareebon kaa hi hota hai

Comment by Arun Sri on June 1, 2012 at 11:28am

पामाल का अर्थ होता है - पैरों तले रौंदना / रौंदा हुआ , कुचलना / कुचला हुआ !

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 1, 2012 at 11:19am

आदरणीया रेखा जी
आपका बहुत बहुत आभारी  हूँ
ह्रदय से धन्यवाद आपका ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये हम अनुजों पर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 1, 2012 at 11:18am

आदरणीय सूरज सर सादर नमन

मुझे पता चल गया है सर जी के मेरी ये भी ग़ज़ल बे-बहर है पर सीख रहा हूँ
और आप सभी का स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहा तो  जल्द ही मैं बहर में लिख कर रचना पेश करूँगा

आपकी इस हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार
स्नेह बनाये रखिये सहयोग करते रहिये कोशिश कर रहा हूँ

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 1, 2012 at 10:31am

संदीप जी अभी तक की बहुत खूबसूरत ग़ज़ल । मज़ा आ गया !

न तोड़ आइना झूठा कभी ये होगा नहीं
बड़ी कमाल है शीशागरी मैं कैसे लिखूं!

कमाल का शेर है भाई ! बहुत उम्दा!

Comment by Rekha Joshi on June 1, 2012 at 8:19am

न कायनात सी दिलकश यहाँ पे शै है कोई 
खुदा बता तेरी कारीगरी मैं कैसे लिखूं 

sandeep ji ati sundr gazal ,bahut bahut badhai

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2012 at 10:04pm

bahut bahut shukriya aapka aadarneeyaa @MAHIMA SHREE ji ,,,,,,,,,,,,,,,,,,aapka saadar aabhar

पामाल- nirdhan, daridra,.......etc

apna ye sneh banaye rakhiye

Comment by MAHIMA SHREE on May 31, 2012 at 9:59pm

न कायनात सी दिलकश यहाँ पे शै है को
खुदा बता तेरी कारीगरी मैं कैसे लिखूं

न तोड़ आइना झूठा कभी ये होगा नहीं
बड़ी कमाल है शीशागरी मैं कैसे लिखूं

संदीप जी खुबसूरत गज़ल के लिए बधाई  स्वीकार  करें .. और पामाल के मायने भी बता दें  

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2012 at 9:52pm

aadarniyaa @rajesh kumari ji .......................aapka bahut bahut shukriya aur saadar aabhar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service