For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

|| माँ शारदे स्तुति "घनाक्षरी छंद" ||

|| माँ शारदे स्तुति "घनाक्षरी छंद" ||

नव नव छंद लिखूं, छंद में आनंद लिखूं |
ऐसा वरदान देना, मेरी माता शारदे ||

जब भी श्रृंगार लिखूं , अपने विचार लिखूं |
मान मेरा बना रहे , बुद्धि के भण्डार दे ||

वीर रस जब आये, पढ़ खून खौल जाए |
सोये लाल जाग जाये, रव में अंगार दे ||

मैं खडा हूँ द्वारे तेरे, खोल दे तू भाग्य मेरे |
मुझ चंचल को माता, अपना तू प्यार दे ||


संदीप पटेल "दीप"

Views: 912

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on May 24, 2012 at 11:14am
माँ की स्तुति मेँ सुन्दर रचना। बागी जी बातोँ पर ध्यान देँ
Comment by MAHIMA SHREE on May 23, 2012 at 9:44pm

बहुत ही सुंदर ... संदीप जी ... छा गए आप :) 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 22, 2012 at 11:16pm

जब भी श्रृंगार लिखूं , अपने विचार लिखूं |
मान मेरा बना रहे , बुद्धि के भण्डार दे ||

वीर रस जब आये, पढ़ खून खौल जाए |
सोये लाल जाग जाये, रव में अंगार दे ||

प्रिय संदीप जी  बहुत सुन्दर माँ शारदे  वर दें ऐसा ही ...माननीय बागी जी का सुझाव देखिएगा  ..आभार ....भ्रमर ५ 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 22, 2012 at 5:17pm

खड़ा हूँ मैं द्वार तेरे, खोल दे तू भाग्य मेरे |
मुझ चंचल को माता, अपना तू प्यार दे ||

अब जरा पढ़िए संदीप भाई , प्रवाह में अटकाव लग रहा था,

बहुत ही खुबसूरत कवित्त की प्रस्तुति है संदीप जी , आनंद आ गया , बधाई स्वीकार करें |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 22, 2012 at 5:13pm

आदरणीय  संदीप जी, सादर 

नव नव छंद लिखूं, छंद में आनंद लिखूं |
ऐसा वरदान देना, मेरी माता शारदे ||

जब भी श्रृंगार लिखूं , अपने विचार लिखूं |
मान मेरा बना रहे , बुद्धि के भण्डार दे ||

वीर रस जब आये, पढ़ खून खौल जाए |
सोये लाल जाग जाये, रव में अंगार दे ||

मैं खडा हूँ द्वारे तेरे, खोल दे तू भाग्य मेरे |
मुझ चंचल को माता, अपना तू प्यार दे ||

मेरी भी  प्रार्थना माँ स्वीकार कर 
बधाई 
Comment by Rekha Joshi on May 22, 2012 at 4:04pm

मैं खडा हूँ द्वारे तेरे, खोल दे तू भाग्य मेरे |
मुझ चंचल को माता, अपना तू प्यार दे ||

bahut sundr sandeep ji ,badhai.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 3:01pm

बहुत सुन्दर माँ शारदे की स्तुति माँ शारदे का हाथ हमेशा आपके सिर पर हो यही मेरी शुभकामना है |

Comment by Yogi Saraswat on May 22, 2012 at 2:27pm

नव नव छंद लिखूं, छंद में आनंद लिखूं |
ऐसा वरदान देना, मेरी माता शारदे ||

जब भी श्रृंगार लिखूं , अपने विचार लिखूं |
मान मेरा बना रहे , बुद्धि के भण्डार दे ||

बहुत सुन्दर आराधना श्री "दीप जी " ! बहुत अच्छी रचना

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
" और, हाँ, जनाब,  गिरह सम्बंधित आपक सुझाव भी शत-प्रतिशत प्रशंसनीय है ! मगर  कारण वही…"
40 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय,  यूफोनिक  आदरणीय, यूफोनिक अमित जी, शुभ प्रभात, मैंने आपकी समीक्षा अभी देखी,आप से…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"ग़ज़ल द्वेष हर दिल से मिटा कर के नतीजा देखूँ देश का हाल भला बनता है कैसा देखूँ रास्ता बीच का मजबूत…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मेरे …"
11 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब, हर शेर पे दाद क़ुबूल…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल का प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब हुई सादर"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"2122 1122 1122 22 घर से निकलूँ कहीं बाहर जो है दुनिया देखूँ वक़्त के साथ ही ख़ुद को भी मैं चलता…"
12 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब। अच्छी ग़ज़ल हुई । बधाई स्वीकार करें।"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service