उसकी पहली नज़र ही असर कर गयी
एक पल में ही दिल में वो घर कर गयी
हर गली कर गयी हर डगर कर गयी
मुझको रुसवा तेरी इक नज़र कर गयी
मैंने देखा उसे देखता रह गया
मुझको खुद से ही वो बेखबर कर गयी
साथ चलने का तो मुझसे वादा किया
वो तो तन्हा ही लेकिन सफ़र कर गयी
जिस घडी पड़ गयी इक नज़र यार की
एक ज़र्रे को शम्सो कमर कर गयी
हमने मांगी थी 'हसरत' जो रब से दुआ
वो दुआ अब यक़ीनन असर कर गयी
Comment
उससे मांगी जो हमने निशानी कोई
चंद अलफ़ाज़ मुझको नज़र कर गयी ....बहुत सुन्दर लगा ये शेर वैसे पूरी ग़ज़ल ही बहुत पसंद आई ..दाद कबूल करें
ji bahut bahut shuqriya arun ji
उससे मांगी जो हमने निशानी कोई
चंद अलफ़ाज़ मुझको नज़र कर गयी
बहुत खूब जनाब हसरत साहब ! यह शेर मन को भा गया मुबारकवाद !!!
tamam ustad hazrat se or bilkhusoos yograj sir or veenus ji se ghuzarish hai ki har bar ki tarah is baar bhi meri ghazal par nazre sani karte hue meri rehnumai farmayein
bahut khoob Hasrat sahab
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