For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सदा आती है ये अक्सर तड़प के मेरे सीने से 

तेरे क़दमों में दे दूं जां जुदा रहकर के जीने से
                        मोहब्बत के मुसाफिर को कभी मंजिल नहीं मिलती
                        जिसे  साहिल  की हसरत  है  उतर जाए  सफीने  से    
मोहब्बत जो भी करते हैं बड़ी तकदीर वाले  हैं 
चमक जाती हैं तकदीरें  मोहब्बत के नगीने से 
                        तेरी यादों के  जुगनू  हैं तेरी खुशबू  हे साँसों  में
                        यही मोती मिले मुझको मोहब्बत के खजीने से 
किसी आशिक की तुर्बत पे ग़ज़ल मैंने पढी हसरत 
मुक़र्रर  की  सदा  आई  अचानक  उस  दफीने  से 

Views: 415

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on April 4, 2012 at 2:42pm

hosla afzai ke liye bahut bahut shuqria ye misra obo par hi diya gaya tha lekin main us waqt obo ka membar nahin tha isliye maine ye ghazal baad mein kahi

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 3, 2012 at 11:32pm

वाह साहब वाह .....

यही हसरत है काफिर की तमन्ना है यही वाइज,

जो काशी में कहे या हक सदा आये मदीने से...एक शेर आपके लिए सादर बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 3, 2012 at 9:48pm

सदा आती है ये अक्सर तड़प के मेरे सीने से 

तेरे क़दमों में दे दूं जां जुदा रहकर के जीने से
                        मोहब्बत के मुसाफिर को कभी मंजिल नहीं मिलती
                        जिसे  साहिल  की हसरत  है  उतर जाए  सफीने  से    
janab hasrat sahab. badhai. main bhi padh padh ke hi sikhunga, inayat hogi meri post valvale par bhi shudh karvayen. shukriya.
Comment by AVINASH S BAGDE on April 3, 2012 at 7:23pm

मोहब्बत के मुसाफिर को कभी मंजिल नहीं मिलती

                        जिसे  साहिल  की हसरत  है  उतर जाए  सफीने  से    ...bahut hi umda lajwab hai Hasrat bhai.
 तेरी यादों के  जुगनू  हैं तेरी खुशबू  हे साँसों  में
                        यही मोती मिले मुझको मोहब्बत के खजीने से .....kya shabd piro laye hai aap bhi is najuk se sher me....wah...Hasrat bhai...wah!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service