For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पूरे मोहल्ले में यह चर्चा थी कि गुड़िया को एड्स की बीमारी है | दरअसल उसका पति एक सरकारी मुलाज़िम था जो कि सिर्फ़ २५ वर्ष की आयु में ही अचानक किसी रहस्यमयी बीमारी का शिकार होकर दुनिया छोड़ गया था | एड्स पर काम कर रही एक स्वयंसेवी संस्था के कार्यकर्ता बहुत समझा-बुझा कर गुड़िया को एड्स की जाँच करवाने अपने साथ ले गए थे | गुड़िया को जो सरकारी पेंशन मिलती थी उसी से किसी तरह अपना जीवन यापन कर रही थी |
 
जाँच करने वाले डॉक्टर ने बड़ी हैरानी से पूछा कि रिपोर्ट में तो तुम्हें कोई बीमारी नहीं है, तुम तो बिल्कुल स्वस्थ हो, फिर यह एड्स का अफ़वाह क्यों ? तुम लोगों को मुँहतोड़ जवाब क्यों नहीं देती ? हाथ जोड़ कर गुड़िया बोली,"डॉक्टर साहिब, आप से विनती है यह बात किसी से भी मत कहिएगा, एक जवान बेवा अपनी इज़्ज़त खूँखार भेड़ियों से अभी तक इसी अफ़वाह के सहारे ही बचाती रही है, भगवान् के लिए मेरा यह कवच मुझ से मत छीनिए...... !"

Views: 1834

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2012 at 10:46pm

उत्साहवर्धन हेतु आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2012 at 10:45pm

आदरणीय सतीश मापतपुरी जी आप जैसे कहानीकार से तारीफ़ पाना किसी पुरस्कार से कम नहीं है , सराहना हेतु आभार आपका |

Comment by MAHIMA SHREE on April 15, 2012 at 10:43pm
आदरणीय बागी जी
 नमस्कार , आपने तो एक ही शब्द से समाज को उसका चेहरा दिखा दिया .
सच कितना खौफनाक चेहरा है समाज का एक स्त्री को अपनी सुरक्षा के लिए कैसे बहाने का सहारा लेना पड़ता  है/ बेहद सोचनीय और मार्मिक
आपको बहुत-२ बधाई
 
 
 
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 15, 2012 at 9:43pm

 कवच प्रभावी लघु कथा है, यदि लाज बचने हेतु

 झूठ का कवच भी ओढ़ना पड़े, तो कोई बुरे नहीं |

बधाई गणेशजी - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by satish mapatpuri on April 15, 2012 at 9:18pm

एक जवान बेवा अपनी इज्जत खूंखार भेडियों से अभी तक इसी अफवाह के सहारे ही बचाती रही है, भगवान् के लिए मेरा यह कवच मुझ से मत छीनिए "
वाह... वाह ... गणेश जी , कितनी चुभती हुई बात कह गए ........ यह व्यंग सीधे सीधे दिल में नश्तर की तरह उतर गया .............. बहुत ...बहुत,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, बधाई


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2012 at 8:45pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , कथा के आत्मा तक पहुच कर टिप्पणी हेतु आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2012 at 8:44pm

आदरणीय जवाहर जी, सराहना हेतु आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2012 at 8:43pm

टिप्पणी हेतु आभार आदरणीया अनामिका घटक जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2012 at 8:36pm

बागी जी यह लघु कथा हमारे समाज के गाल पर एक तमाचा है जहां अपनी इज्जत बचाने के लिए नारी को एसे दर्दनाक कवच को भी स्वीकारना मंजूर है 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 15, 2012 at 8:33pm
आदरणीय महाशय, सादर अभिवादन!
आपने एक लघुकथा के बहाने कितनी मर्मान्तक बात कह डाली!
ये खूंखार भेड़िये........! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
5 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)

कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।ब्रह्मसरोवर तीर पर,…See More
12 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
12 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दयारामजी"
40 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service