For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे बचपन के एक मित्र के बड़े भैया पढ़ने में बड़े तेज़ थे, और पूरे मोहल्ले में अपनी आज्ञाकारिता और गंभीरता के लिए प्रसिद्ध थे. भैया हम लोगो से करीब 5 साल बड़े थे तो हमारे लिए उनका व्यक्तित्व एक मिसाल था, और जब भी हमारी बदमाशियो के कारण खिचाई होती थी तो उनका उदहारण सामने जरूर लाया जाता था.  सभी माएं अपने बच्चो से कहती थी की कितना 'सीधा लड़का' है. माँ बाप की हर बात मानता है. कभी उसे भी पिक्चर जाते हुए देखा है?

मेधावी तो थे ही, एक बार में ही रूरकी विश्वविद्यालय में इन्जिनेअरिंग में दाखिला मिल गया. कालेज के अपने दोस्तों के बीच भी वो आदर्श थे. किसी लड़की के पास जरूरत से ज्यादा उन्हें नहीं देखा गया. और शायद यही वजह थी कि बी टेक में गोल्ड मेडल पा सके. वहा से पास होते ही नौकरी भी लग गई. 

किन्तु उनके पिताजी को IAS से बड़ा ही सम्मोहन था और वो अपने लडके को किसी जिले का मालिक देखना चाहते थे. इसलिए उन्हें नौकरी से वापस बुला लिया और IAS का भी इम्तिहान देने को कहा. भैया इतने आज्ञाकारी थे कि नौकरी छोड़ के आ गए. उन्होने फिर से अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए IAS का इन्मिताहं पास किया. अब क्या था! उनके पिताजी जी कि ख़ुशी का ठिकाना न था. हर जगह मिठाई बाटते फिरे. और कहते फिरते थे की "आखिर IAS का दहेज़ भी तो हमारे समाज में सबसे ज्यादा होता है". 

भैया IAS की ट्रेनिंग के लिए चले गए. उनके पिताजी को लग रहा था कि जल्द से जल्द शादी करके अब अपनी सभी जिम्मेदारियों से मुक्ति पा ली जाए. दिन बीतते गए और तरह तरह के संपन्न रिश्ते आते रहे. किन्तु हमारे भैया किसी न किसी तरह से उसे मना कर देते थे. उन की इस हरकत की वजह से तमाम सारे क्षेत्रीय संपन्न रिश्ते हाथ से निकले जा रहे थे. और लोग भी तरह तरह की बातें करने लगे थे. 


एक दिन मेरे मित्र के पिताजी सुबह सुबह ही चिल्ला रहे थे. लोगो कि भीड़ जमा हो गई घर के सामने. पता चला कि भैया की ट्रेनिग ख़तम हुई है और वो पोस्ट ज्वाइन करने से पहले कुछ दिनों के लिए घर आये हैं.  थोड़ी ही देर में बात सामने आ गई. दरअसल भैया साथ में बहू और 2 साल का एक बच्चा भी लाये थे. हम सभी लोगो को ये बात जैसे गुलर में फूल आ जाने जैसी लगी. किन्तु बात सच थी. चाचा जी को जैसे तैसे समझाया गया, उनका ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ा हुआ था सो एक दो दिन हास्पिटल में रखना पड़ा. 

खैर सभी ने आपने अपने तरीके से इस बात को हजम किया. लड़की के घर वालो को बुला कर भैया की फिर से पारंपरिक तरीके से शादी कराई गई, बहू अच्छी थी थोड़े ही दिनों में उसने घर में सबका दिल जीत लिया और मोहल्ले के बड़ी बूढी औरतो को भी भा गई. बस भैया का 'सीधा लड़का' वाला तमगा छीन लिया गया. और वो फिर से एक उदहारण बन गए, थोडा दूसरे सन्दर्भ के लिए. 

अब जब कभी भी हमारे मोहल्ले में कोई प्रेम प्रलाप होता है तो घर वाले उसका विरोध नहीं करते. बल्कि भैया वाली बात की उलाहना देते हैं और कहते हैं की जहाँ आप लोग की मर्जी शादी कर लेना मगर इस तरह अचानक से बहू और बच्चा ला के 'हार्ट अटैक' मत देना. 

बहुत संपन्न होने के बाद भी चाचा जी को दहेज़ न मिल पाने की खलिश आज भी कभी कभी सताती है.

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 13, 2012 at 5:47pm

सच कहूँ तो मैंने इस नजरिये से लिखा था की लड़का उस्ताद था एकदम, ऑब्जेक्टिव! चाहे कोई भी मैदान हो, चुपचाप अपना काम कर जाता था :)

Comment by Shubhranshu Pandey on April 13, 2012 at 4:50pm

हा.........हा................हा.........भाई दहेज और प्रेम विवाह तो दिख ही रहा था...कुछ ऎसा भी था वो भी साथ साथ ही दीख रहा था......

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 12, 2012 at 10:49am

भाई शुभ्रांशु जी, सादर! आपने कहानी को एक नए नजरिये से देखा है, वह मजा आ गया :)

Comment by Shubhranshu Pandey on April 11, 2012 at 8:07pm

सीधा लडका था...पिता की बात माना और IAS हो गया......एक उदाहरण् ही है उन सभी प्रेम में पडने वाले लोगों से...पहले कुछ करो फ़िर प्रेम करो.....

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 6, 2012 at 8:06am

अश्विनी भाई, सुप्रभात. कहानी मनोरंजन के लिए ही लिखी थी, आपको आनंद आया तो हमें बहुत ख़ुशी हुयी. धन्यवाद.

Comment by अश्विनी कुमार on April 5, 2012 at 11:57pm

भाई राकेश जी आपकी कथा सीधा लड़का भाई वास्तव मे सीधा लड़का ही था जो सीधा घर ही गया सीधा जो था ,,पता नही क्यों इस सीधे लड़के पर इतनी देर बाद दृष्टि पड़ी ....सादर मनोरंजक कथा के लिए हार्दिक आभार

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 3, 2012 at 10:32pm

आदरणीय अविनाश जी, सादर! प्रत्साहन हेतु धन्यवाद. नहीं वो सार नहीं है, वो व्यंग्य है की कुछ लोग अपनी अधूरी इक्षाएं जिंदगी भर नहीं छोड़ पाते :)

Comment by AVINASH S BAGDE on April 3, 2012 at 7:34pm

बहुत संपन्न होने के बाद भी चाचा जी को दहेज़ न मिल पाने की खलिश आज भी कभी कभी सताती है....kya yahi sar hai!!!

very nice story राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' ji.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 3, 2012 at 4:11pm

आदरणीय मीनू जी, एवं श्री वाहिद जी, सादर नमस्कार. इस रचना ने आप लोगो का मनोरंजन किया, लिखना सफल रहा. मीनू जी, बच्चे चुप के शायद माँ के दर से ही कोई काम करते हैं, जैसा की श्रद्धेय राजेश कुमारी जी ने कहा की अगर पैरेंट्स ने एक दोस्त की तरह बात की होती तो स्थिति दूसरी होती.

Comment by minu jha on April 3, 2012 at 1:29pm

राकेश जी

कहानी अच्छी लगी,पर माता पिता की सहमति होती

तो और अच्छा होता,बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
14 hours ago
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
yesterday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Friday
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Nov 7
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
Nov 6
Samar kabeer commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले के सानी में…"
Nov 6
रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
Nov 4
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Nov 2
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Nov 1
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Nov 1

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service