For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इन्तजार की अवधि

मृत्यु जब तक तुम्हे
वरण नहीं कर लेती
तब तक करो इन्तजार
रखो अटल  विश्वास

गले लगा लो
सारी  प्रवंचनाएं

मत ठुकराओ
दुनियावी बंधन
मान-अपमान की  पीड़ाएँ
भीड़ व् अकेलेपन की दुविधाएं
सभी अपना लो
सदियों की  धूल

लगा लो माथे पे
चूम लो सारे
अनुग्रह -आग्रह
बाँहे फैला कर
स्वीकार कर लो
जिसे व्यर्थ समझ
ठुकराया था अब तक
क्योंकि तभी आसां हो  पाएगी
मृत्यु के इन्तजार की  अवधि

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on March 30, 2012 at 1:40pm
आदरणीय प्राची जी
नमस्कार...पहले तो आपका स्वागत है....समय निकाल कर आपने पढ़ा और फिर गहन विश्लेषण के साथ सुंदर सामाधान का रास्ता भी सुझाया....सत्य कहा आपने जीवन और मृत्यु के बीच जो opportunity हमे मिलती उससे अपने जीवन को विस्तार देकर मनुष्य भाव से ऊपर उठकर अमरत्व की और बढ़ने का परस होना चाहिए , और भारतीय जीवन दर्शन आरम्भ से ही इसी को जीवन का उदेश्य बताती आई है...आपका बहुत -२ हार्दिक धन्यवाद.....साभार...
...
Comment by MAHIMA SHREE on March 30, 2012 at 1:27pm
आदरणीय अशोक सर,
आपका हार्दिक धन्यवाद ...
Comment by MAHIMA SHREE on March 30, 2012 at 1:25pm
आदरणीय प्रदीप सर
सादर प्रणाम , आपका आशीर्वाद यूँही हमेशा मिलता रहे यही कामना के साथ.....हार्दिक धन्यवाद.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 30, 2012 at 10:30am

dharshnikta ki soch liye hue aapki rachna bahut pasand aai.

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 30, 2012 at 8:08am

महिमा जी,
                 सत्य को स्वीकारती सुन्दर रचना. बधाई.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 29, 2012 at 11:19pm

snehi mahima ji, saadar gathe hue sundar bhav ki rachna. badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
4 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"बदलते लोग  - लघुकथा -  घासी राम गाँव से दस साल की उम्र में  शहर अपने चाचा के पास…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"श्रवण भये चंगाराम? (लघुकथा): गंगाराम कुछ दिन से चिंतित नज़र आ रहे थे। तोताराम उनके आसपास मंडराता…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
17 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
20 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
20 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
21 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
21 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service